aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सवार"
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहींइक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीबसोचते रहते हैं किस राहगुज़र के हम हैं
लाखों ही मुसाफ़िर चलते हैं मंज़िल पे पहुँचते हैं दो एकऐ अहल-ए-ज़माना क़द्र करो नायाब न हों कम-याब हैं हम
हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तूकहाँ गया है मिरे शहर के मुसाफ़िर तू
जो हो सके तो ज़रा शह-सवार लौट के आएँपियाद-गाँ को ज़फ़र-याब देखने के लिए
सल्ब-ए-बीनाई के अहकाम मिले हैं जो कभीरौशनी छूने की ख़्वाहिश कोई शब-ज़ाद करे
बद-दिली में बे-क़रारी को क़रार आया तो क्यापा-पियादा हो के कोई शहसवार आया तो क्या
उधर कुछ औरतें दरवाज़ों पर दौड़ी हुई आईंइधर घोड़ों से उतरे शहसवार आहिस्ता आहिस्ता
'ग़ालिब' ख़ुदा करे कि सवार-ए-समंद-नाज़देखूँ अली बहादुर-ए-आली-गुहर को मैं
हम-सफ़र भी हैं रहगुज़र भी हैये मुसाफ़िर ही कू-ब-कू है अभी
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