aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".pan"
देख रहते हैं वो आईना-ए-ज़ानू उस कापर किसी शक्ल से ज़ानू को भिड़ा सकते नहीं
बाग़ में गुल ने किया अपने तईं लोहूलुहानदेख उस ग़ुंचा-दहन के पान के खाने की तरह
कहता हूँ वस्फ़ दंदाँ-ओ-मिसी केमज़ा लेता हों अब तल-चावली का
पर्वाज़ ता-ब-अर्श अगर तू ने की तो क्यासय्याद-ए-मर्ग है तिरी नित घात में लगा
इश्क़-ए-बुताँ था दिल से जो दम-साज़ मिस्ल-ए-नयहर दम असर में ताबा-ए-फ़रमान-ए-नाला था
बालाँ में तेल बर में गुलाँ भर गला संदलतम्बूल की अधर पे धड़ी थी नज़र पड़ी
पनाह देता है यूँ पंछियों को आँचल मेंदरख़्त धूप को साए में ढाल देता है
जान किस काम का ये भोला-पनदम में हर एक के आया न करो
पनाह अब किसी भी जाँ में ले लिया जाएकि आसमाँ न ज़मीं कुछ बचा है मेरे लिए
पनाह ढूँडनी थी रात के लिएपनाह ढूँढने के बा'द क्या हुआ
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