aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दर्द आख़िर कहाँ से उठता हैदिल-ए-शोरीदगाँ से उठता है
दर्द तो सिर्फ़ दर्द है के दर्दख़ास या आम का नहीं होता
दिल हो कि सर यहाँ तो सरापा-ए-दर्द हैंऐसा नहीं कि दर्द कहीं है कहीं नहीं
दर्द वो दर्द ही नहीं होतादर्द जो दाइमी नहीं होता
दिल में न दर्द हो तो कहाँ शा'इरी भी होक्या दर्द ही सर्मा-ए-अशआ'र नहीं है
दर्द का सिलसिला है जहाँ तकदिल की जागीर होगी वहाँ तक
दर्द पुर्सिश से सिवा होता हैयही अंजाम-ए-वफ़ा होता है
है दर्द दिल में गर नहीं हमदर्द मेरे पासदिल-सोज़ कोई गर नहीं सोज़-ए-जिगर तो है
दर्द को कुछ दवा भी चाहिए थीदर्द का कोई सिलसिला कब था
दर्द भी कुछ दब गया है दिल के साथ'नूर' इस करवट बहुत आराम है
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