aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aalam"
मैं ने इस दिल की तिजोरी में रखा है 'आलम'उस की हर चीज़ को अनमोल निशानी की तरह
अपनी ख़ातिर भी तो 'आलम' चीज़ रखनी थी कोईअब कहाँ कुछ भी बचा है तेरी इस ज़म्बील में
ये देखते हैं कि कल रंग-ए-सुब्ह क्या होगाकि आफ़्ताब का 'आलम' है इंतिज़ार अभी
मैं ने चाहा था ज़रा देर वो ठहरे 'आलम'वो तो बहता हुआ दरिया था ठहरता कैसे
अहद-ए-हाज़िर में वफ़ाओं का नतीजा क्या हैतुम जो 'आलम' से मिलोगे तो समझ जाओगे
हमेशा ख़ैर के तालिब हैं हम हमें 'आलम'तिलिस्म-ए-होश-रुबा माँगना नहीं आता
तुम मेरी ज़रूरत हो 'आलम' यही कहता हैइस बात का मतलब है तिरे बिन मिरा मर जाना
अजीब धुँद है मैं अपनी हार में 'आलम'शिकस्त-ए-गुंबद-ओ-मेहराब देख लेता हूँ
समझ रहा था फ़रिश्ता वो ख़ुद को ऐ 'आलम'मैं आइना न दिखाता तो और क्या करता
राएगाँ कोई भी शय होती नहीं है 'आलम'ग़ौर से देखिए क्या क्या ख़स-ओ-ख़ाशाक में है
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