aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "asgar"
शाइस्ता-ए-सोहबत कोई उन में नहीं 'असग़र'काफ़िर नहीं देखे कि मुसलमाँ नहीं देखा
मैं 'असग़र' मुसाफ़िर कड़े कोस काकि अपने हुए मेरे अग़्यार अब
वो दिल-लगी है अगर गुदगुदी सी आ जाएजला दे दिल को जो 'असग़र' वो दिल-लगी क्या है
ख़ामोश ये हैरत-कदा-ए-दहर है 'असग़र'जो कुछ नज़र आता है वो सब तर्ज़-ए-नज़र है
'असग़र' हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी में उस की यादआई है एक तिलिस्मी तमन्ना लिए हुए
नज़र जाती नहीं 'असग़र' किसी परनज़र में जब से वो जल्वा-नुमा है
किस ने चौंका दिया क्यों होश में आया 'असग़र'बे-ख़ुदी में ही मज़ा था मुझे मालूम न था
अभी मेहंदी लगाई थी अभी ख़ूँ कर दिया मेराअगर रंग-ए-हिना 'असग़र' चढ़ा होता तो क्या होता
फ़ना फ़िल्लाह जब 'असग़र' हुए तो ये खुला उक़्दाजिसे हम बुत समझते थे वही अपना ख़ुदा निकला
हर किज़्ब का जवाब बहत्तर सदाक़तेंसौ हुरमला हों अली असग़र का लाइए
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