aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ball"
भाग रही है गेंद के पीछे जाग रही है चाँद के नीचेशोर भरे काले नारों से अब तक डरी नहीं है दुनिया
महफ़िल-ए-रक़्स हो कि शे'र-ओ-शराबतुम नहीं हो तो बज़्म-ए-मातम है
पहुँचे हैं ता-कमर जो तिरे गेसू-ए-रसामा'नी ये हैं कमर भी बराबर है बाल के
जाने किस दीवार से टकरा के लौट आई है गेंदजाने किस दीवार ने महताब वापस कर दिया
क्रिकेटर बाज़ इस अंदाज़ से छका लगाते हैंज़मीन पर गेंद होती है फ़ज़ा में बैट होता है
रफ़्ता रफ़्ता रख़्ना रख़्ना हो गई मिट्टी की गेंदअब ख़लीजों के सिवा क्या रह गया नक़्शे के बीच
दुनिया हमारे हाथ में है गेंद की तरहहम कर रहे हैं ज़िंदगी जब से बराए इश्क़
आरिज़ पे सिमटे ख़ुद-ब-ख़ुद ज़ुल्फ़ों के घूँगर वाले बालहै नाफ़ा-ए-मुश्क-ए-ख़ुतन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़
वो बन-सँवर के निकलती तो छेड़ती थी सबाफिर उस ने बाल ही अपने सबा से बाँध लिए
पैमाना-ए-तरब में कहीं बाल आ गयामैं गरचे पी रहा था बहुत ही सँभाल कर
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