aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "confession"
सच-मुच किसी से कोई अदावत नहीं मगरकुछ पुन कमा रहा हूँ मोहब्बत के पाप से
कूचा-ए-यार को दावा है कि जन्नत मैं हूँख़ुल्द कहते हैं किसे रौज़ा-ए-रिज़वाँ कैसा
ख़ुदा को बे-ख़बर अपनी असीरी से कहूँ क्यूँ-करक़फ़स में मुझ से पहले मेरा आब-ओ-दाना आता है
वादा-ए-वस्ल जो उस से ब-क़सम लेता हूँदिल से कहते हैं मैं इक़रार करूँ या न करूँ
मैं कहने को तो अपनी दास्तान-ए-इश्क़ कहता हूँमगर मुँह से निकल कर हुस्न का अफ़्साना होता है
दिल में शर्मिंदा हैं एहसास-ए-ख़ता रखते हैंहम गुनहगार हैं पर ख़ौफ़-ए-ख़ुदा रखते हैं
तेरी सच्चाई मो'जिज़ा ठहरीखुल गया जो फ़रेब था मुझ में
नहीं कहते किसी से हाल-ए-दिल ख़ामोश रहते हैंकि अपनी दास्ताँ में तेरे अफ़्साने भी आते हैं
बातें कर के लगावट की ये काफ़िर हूँ गर झूट कहूँदिल को मिरे तुम लेते हो जी नाम-ए-ख़ुदा है और कहीं
बुराई क्या है तुम इल्ज़ाम दो बुराई काबशर हूँ मैं मुझे दावा नहीं ख़ुदाई का
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