aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "darvesh"
देखने वाला था मंज़र जब कहा दरवेश नेकज-कुलाहो बादशाहो ताज-दारो तख़लिया
दरवेश है वही जो रियाज़त में चुस्त होतारिक नहीं फ़क़ीर भी राहत-परस्त है
हम दारा हैं न सिकंदर हैं दरवेश हैं मस्त क़लंदर हैंचाहो तो हमारे साथ बसर तुम भी इक शाम करो 'वाली'
हम ने जाना है यही आ के जहाँ में 'दरवेश'होना चाहे जो न हरगिज़ वो बशर हो जाए
काश 'दरवेश' हो मेरी तक़दीर मेंमंज़र-ए-ख़ुशनुमा उम्र भर देखना
किया गया मुझे 'दरवेश' इस तरह तक़्सीमन एक जिस्म हुआ फिर न एक जान हुआ
वो तो इक दरवेश है शहर-ए-वफ़ा की ख़ाक परहिज्र की ओढ़ेगा चादर चैन से सो जाएगा
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