aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gate"
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगामेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
दरवाज़ा भी जैसे मिरी धड़कन से जुड़ा हैदस्तक ही बताती है पराया है कि तुम हो
किस शबाहत को लिए आया है दरवाज़े पे चाँदऐ शब-ए-हिज्राँ ज़रा अपना सितारा देखना
खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहींऔर मेरे पास कोई चोर दरवाज़ा नहीं
एक दीवार बाग़ से पहलेइक दुपट्टा खुले गले के लिए
हम ने ख़ुद से भी छुपाया और सारे शहर कोतेरे जाने की ख़बर दीवार-ओ-दर करते रहे
अब याँ से कौन दे मिरी चश्म-ए-तलब को दादजिस फ़ासले से बाब-ए-तलब देखता हूँ मैं
उस की ख़ातिर घर से बाहर ठहरा हूँवर्ना इल्म है चाबी गेट पे रक्खी है
एक दिन तो अपने झूटे ख़ोल को तोड़ेगा वोएक दिन तो उस का दरवाज़ा खुला मिल जाएगा
जुज़ ज़मीन-ए-कू-ए-जानाँ कुछ नहीं पेश-ए-निगाहजिस का दरवाज़ा नज़र आया सदा देने लगे
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