aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gul"
गुल-ए-शब-ताब की ख़ुश्बू ले करअबलक़-ए-सुब्ह रवाना होगा
गुल-कदों के तिलिस्म भूल गएवो तमाशा नक़ाब में देखा
पए गुल-गश्त वो गुल-पोश जो आए 'गुलज़ार'ज़िंदगी सब्ज़े के मानिंद बिछा देते हैं
हाथ में उस के 'अज़ल' ने दे दिया गुलफ़ैसला करिए किसे अब फूल कहिए
ग़लत नीं है कि बुलबुल हाफ़िज़-ए-सीपारा-ए-गुल हैसनद रखता हूँ मैं गुल-बर्ग के रंगीं सहीफ़ों सीं
'इक़बाल' जब से फूल हैं गुल-दान के असीरख़ुशबू उड़ी उड़ी सी है और रंग ज़र्द हैं
शब-ए-विसाल मयस्सर है क्यूँ न ऐ 'शादाँ'अयाग़ बादा-ए-गुल-रंग गुल-इज़ार से लूँ
आपस में सारी तरहें मिला दी हैं ‘गुल-फ़राज़'और इस तरह बनाई है और ही कोई तरह
गुल-ए-नसरीं को नहीं जोश चमन में बुलबुलहै नज़ाकत के सबब चेहरा-ए-गुलज़ार सफ़ेद
लाला-ओ-गुल हैं चमन में कि खिले जाते हैंग़ुंचा-ए-दिल है मिरा एक कि मुरझाता है
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