aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "lash"
तौसन-ए-उम्र-ए-रवाँ दम भर नहीं रुकता 'रसा'हर नफ़स गोया उसी का ताज़ियाना हो गया
ये सदा आती है रफ़्तार-ए-समंद-ए-उम्र सेवो भी घोड़ा है कोई जिस को कि कोड़ा चाहिए
हर एक गाम पे दिल पीस्ता है अबलक़-ए-चश्ममगर है सुरमे का दुम्बाला ताज़ियाना-ए-इश्क़
बात वाइ'ज़ की कोई पकड़ी गईइन दिनों कम-तर है कुछ हम पर लताड़
अगर लगे तो लगे चोट मेरे नाले कीअगर पड़े तो पड़े दिल पे ताज़ियाना-ए-इश्क़
सिखाई किस ने ये रफ़्तार मेरे नाले कोकमर की तरह लचकता है ताज़ियाना-ए-इश्क़
फ़रेब-ओ-मक्र पे इनआ'म लोग पाते हैंमैं बात सच भी कहूँ और ताज़ियाना लगे
मुझे डसवाओ इक मार-ए-सियह से ये सज़ा दीजेजफ़ा की अपने साहिब की जो ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं पकड़ी
मेरी बरहना पुश्त थी कोड़ों से सब्ज़ ओ सुर्ख़गोरे बदन पे उस के भी नीला निशान था
गर समंद-ए-नाज़ पर तू हो सवारज़ुल्फ़ का हाथों में कोड़ा चाहिए
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