aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "non"
नौमीद न हो इन से ऐ रहबर-ए-फ़रज़ानाकम-कोश तो हैं लेकिन बे-ज़ौक़ नहीं राही
अगर मादूम को मौजूद कहने में तअम्मुल हैतो जो कुछ भी यहाँ है आज क्या होने से पहले था
दिल-ए-ज़ूद-रंज न कर गिला किसी गर्म ओ सर्द रक़ीब कारुख़-ए-ना-सज़ा तो है रू-ब-रू पस-ए-ना-सज़ा कोई और है
छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-काफ़िर का पूजनाछोड़े न ख़ल्क़ गो मुझे काफ़र कहे बग़ैर
जूँ शरर ऐ हस्ती-ए-बे-बूद याँबारे हम भी अपनी बारी भर चले
नग़्मा है 'नुशूर' अपना अफ़्सुर्दा-ए-ग़म लेकिनएहसास की महफ़िल में कुछ रंग तो आया है
न सहरा में बहलता है न कू-ए-यार में ठहरेकहीं तो चैन से मुझ को दिल-ए-नाशाद रहने दे
नाम जिस का भी निकल जाए उसी पर है मदारउस का होना या न होना क्या, मगर रक्खा है नाम
बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़महर ख़्वाहिश का धीरे धीरे दिल से उतर जाने का ग़म
है जो बूद-ओ-नबूद का दफ़्तरआख़िरश ये कहाँ का दफ़्तर है
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