aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qaaf"
देव-ए-सफ़ेद की क़सम और कोह-ए-क़ाफ़ कीबाग़-ए-इरम की और परिस्तान की क़सम
फ़ातिहा को जो वो परी आईसंग-ए-क़ब्र अपना कोह-ए-क़ाफ़ हुआ
जाती नहीं है उस की महक तक लिहाफ़ सेआई थी एक बार परी कोह-ए-क़ाफ़ से
कभी तो हम भी तुम्हारा सुराग़ पा लेंगेतुम्हारा शहर कोई कोह-ए-क़ाफ़ थोड़ी है
हिम्मत न हो तो मुश्किल बन जाएँ मंज़िलें भीहिम्मत जो हो तो इंसाँ सर कोह-ए-क़ाफ़ कर ले
यहाँ ताज उस के सर पर होगा जो तड़के शहर में दाख़िल होयहाँ साया हुमा का नहीं पड़ता यहाँ कोह-ए-क़ाफ़ नहीं होता
मेरे जुनूँ को दे के सफ़र कोह-ए-क़ाफ़ काइक और शख़्स को वो परी सौंप दी गई
उतारो ज़ेहन में ग़ज़लों की गुल-बदन परियाँ'शबाब' ज़ेहन को हर रात कोह-ए-क़ाफ़ करो
परियाँ कोह-ए-क़ाफ़ में हैं और यहाँशाहज़ादे मारने मरने लगे
जूँही देखा तिरी रौशन-जबीं का नूर ख़ल्वत मेंहै महव-ए-रश्क कोह-ए-क़ाफ़ की वो हूर ख़ल्वत में
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