aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "turk"
हाज़िर हूँ मुझे बस्ता-ए-फ़ितराक-ए-फ़रस करगर सैद कोई तुर्क-ए-सितमगर नहीं मिलता
मुझ को हैरत है कि की उम्र बसर उस ने कहाँइस जहालत पे तो ने तुर्क न ताजीक है दिल
मैं उस की छाँव में हूँ 'तुर्क' लेकिनवो मेरी धूप कैसे सह रही है
फल मिला है ये तिरी तेग़ से हम को ऐ तुर्कफूट की तरह हर इक ज़ख़्म है खिल खिल जाता
बदल रहे हैं मिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल 'तुर्क' अभीमुसलसल आईना तावील कर रहा है मुझे
तौसन-ए-मुश्कीं से जब उस तुर्क की तश्बीह दीजोड़ में ठहरे न आहू-ए-ख़ुतन के हाथ पाँव
रहूँ काहे को दिल-ख़सता फिरूँ काहे को आवाराअगर आँ तुर्क-ए-शीराज़ी ब-दस्त आरद दिल-ए-मा रा
पस-ए-चराग़ मैं जो सम्तें ढूँडता रहा 'तुर्क'वो एक लफ़्ज़ के दौरान में पड़ी हुई थीं
मिटाने पे जिस के तुला था ज़मानाउभरता है वो तुर्क-ए-तातार देखो
मुझ ज़ार से वो तुर्क जो दो-चार हो गयातीर-ए-निगाह दिल के मिरे पार हो गया
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