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कहानी
क़ुर्रतुलऐन हैदर
नज़्म
सरकारी और ग़ैर-सरकारी दो ईदें
आज कितना फ़र्क़ फ़ुल स्टाप और कॉमे में था
बाप का रोज़ा था बेटा ईद के जामे में था
दिलावर फ़िगार
लेख
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
समस्त
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नज़्म
तख़रीब-कारों की शहादत
आइए मैं इन शहीदों को मिलाऊँ आप से
आप थोड़ी दूर हैं जन्नत के बस-स्टॉप से
खालिद इरफ़ान
नज़्म
कहानी बस इतनी सी थी
ये तो बस आते-जाते लोगों की राहदारी थी
या एक बस स्टाप था
मर्यम तस्लीम कियानी
नज़्म
न दी अंग्रेज़ ने 'ग़ालिब' को पेंशन
बढ़ा जाता है हर स्टेप पे टेनशन
अटैनशन ऐ दिल-ए-नादाँ अटैनशन