aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اہمیت"
इमरान आमी
born.1980
शायर
शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहींकिसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है
वो बेहद मसरूर था, ख़ासकर उस वक़्त उसके दिल को बहुत ठंडक पहुंचती जब वो ख़याल करता कि गोरों... सफ़ेद चूहों (वो उनको उसी नाम से याद किया करता था) की थूथनियां नए क़ानून के आते ही बिलों में हमेशा के लिए ग़ायब हो जाएंगी। जब नत्थू गंजा, पगड़ी बग़ल...
वो इस तरह भी मिरी अहमियत घटाता हैकि मुझ से मिलने में शर्तें बहुत लगाता है
ख़ैर मशहूर हुए तो क्या और न हुए तो क्या। मेरा वो फ़ारसी कलाम जिसका हिन्दोस्तान में जवाब नहीं था वो इस दुकान में नज़र नहीं आता। मेरे चन्द अशआर से अगले वक़्तों के लोगों को और मुमकिन है आजकल के लोगों को भी ये धोका हो कि मैंने अपनी...
अहमद फ़राज़ पिछली सदी के प्रख्यात शायरों में शुमार किए जाते हैं। अपने समकालीन में बेहद सादा और अद्वितीय शैली की वजह से उनकी शायरी ख़ास अहमियत की हामिल है। रेख़्ता फ़राज़ के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर पेश कर रहा है जिसने पाठकों पर जादू ही नहीं किया बल्कि उनके दिलों को मोह लिया । इन शेरों का चुनाव बहुत आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी फ़राज़ के बहुत से लोकप्रिय शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में आपकी राय का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
आधुनिक काल के महान उर्दू कवी फ़िराक गोरखपुरी का जन्म १८९६ में गोरखपुर में हुआ। मगर ज़िंदगी का अधिकतर समय अलाहबाद विश्व विध्यालय मैं अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर के तौर पे गुज़रा। उनकी शायरी में हिंदुस्तानी भाषा और संस्कृति की एक काव्यात्मक छवि दिखाई देती है। अपने आलोचनात्मक समीक्षाओं के लिए मशहूर हैं। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित।
नासिर काज़मी का जन्म 1923 को अंबाला में हुआ, इन्हें उर्दू की आधुनिक शायरी का एक सुतून कहा जाता है। इश्क़ और मोहब्बत उन की शायरी मुख्य विषय हैं, उन्हों ने अपनी कविता में बटवारे के दुख दर्द को समो लिया है। छोटी छोटी बहरों और सादा लफ़्ज़ों में सजी हुई उन की ग़ज़लें अवाम की याददाश्त का हिस्सा हैं। उन की ग़ज़लों को तमाम बड़े गुलूकारों गाया हुआ है।
उर्दू अदब में तन्क़ीद की अहमियत
क़य्यूम सादिक़
आलोचना
Waqt Ki Ahmiyat
अल्लामा यूसुफ़-उल-क़रज़ावी
अनुवाद
Zatal Nama
जाफ़र ज़टल्ली
शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा
Taleem Aur Zindagi Ki Ahmiyat
जे. कृष्णा मूर्ती
एजुकेशन / शिक्षण
Jine Ki Ahmiyat
लीन यू टोंग
Taleem Ki Ahmiyat Sunnate Nabvi Ki Roshni Mein
Jul 2000
Urdu Zaban Ki Tamadduni Ahmiyat
अब्दुर्रज़्ज़ाक़ कुरेशी
भाषा
Taleem Mein Nafsiyat Ki Ahmiyat
हर्बर्ट सोरेनसन
Taleem Aur Zindagi Ki Ahmiyyat
Tazkira-e-Ahl-e-Dehli
सर सय्यद अहमद ख़ान
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Hindu Tyuharon Ki Dilchasp Asliyat
मुंशी राम प्रशाद माथुर
सांस्कृतिक इतिहास
Parindon Ki Zindagi Aur Unki Maashi Ahmiyat
महशर आबिदी
विज्ञान
Urdu Rasm-ul-Khat Aur Uski Ahmiyat
मोहमद अमीन अब्बासी
Ilm-e-Tajweed Wa Qirat Uski Ahmiyat Aur Zaroorat
मीर असद अली
Urdu Marsiye Ki Tanqeed Mein Mawazana-e-Anees-o-Dabir Ki Ahmiyat
रियाज़ अल-हाशिम
मैं अहमियत भी समझता हूँ क़हक़हों की मगरमज़ा कुछ अपना अलग है उदास होने का
बलदिया का इजलास ज़ोरों पर था। हाल खचाखच भरा हुआ था और खिलाफ़-ए-मा’मूल एक मेम्बर भी ग़ैर-हाज़िर न था। बलदिया के ज़ेर-ए-बहस मस्अला ये था कि ज़नान-बाज़ारी को शह्र बदर कर दिया जाए क्योंकि उनका वुजूद इन्सानियत, शराफ़त और तहज़ीब के दामन पर बदनुमा दाग़ है। बलदिया के एक भारी...
जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगीतिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में
किसी गाँव में शंकर नामी एक किसान रहता था। सीधा-सादा ग़रीब आदमी था। अपने काम से काम, न किसी के लेने में, न किसी के देने में, छक्का-पंजा न जानता था। छल-कपट की उसे छूत भी न लगी थी। ठगे जाने की फ़िक्र न थी। विद्या न जानता था। खाना...
ये क्लिप मेरे पास अभी तक महफ़ूज़ हैं। ख़ैर कुछ दिनों की तूल तवील गुफ़्तगुओं के बाद मैंने उस की ज़बान से कहलवा लिया कि वो मुझसे शादी करने पर रज़ामंद है। मुझे अच्छी तरह याद है कि जब उस रोज़ शाम को उसने अपने घड़े को सर पर सँभालते...
अहमियत का मुझे अपनी भी तो अंदाज़ा हैतुम गए वक़्त की मानिंद गँवा दो मुझ को
मैंने उससे कुछ न कहा क्योंकि वो गहरे फ़िक्र में ग़र्क़ हो गई थी। शायद वो सोच रही थी कि “इतना ज़रूर” क्या है? थोड़ी देर के बाद उसके पतले होंटों पर वही ख़फ़ीफ़ पुरअसरार मुस्कुराहट नुमूदार हुई जिससे उसके चेहरे की संजीदगी में थोड़ी सी आ’लिमाना शरारत पैदा हो...
जोगिंदर सिंह के अफ़साने जब मक़बूल होना शुरू हुए तो उसके दिल में ख़्वाहिश पैदा हुई कि वो मशहूर अदीबों और शायरों को अपने घर बुलाए और उनकी दा’वत करे। उसका ख़याल था कि यूं उस की शोहरत और मक़बूलियत और भी ज़्यादा हो जाएगी। जोगिंदर सिंह बड़ा ख़ुशफ़हम इंसान...
अब तक कई किरदार आए और अपनी ज़िंदगी बता कर, अपनी एहमियत जता कर, अपनी ड्रामाईयत ज़हन नशीन कराके चले गए। हसीन औरतें, ख़ूबसूरत तख़य्युली हयूले, उसकी चार-दीवारी में अपने दिए जला कर चले गए, लेकिन कालू भंगी बदस्तूर अपनी झाड़ू सँभाले इसी तरह खड़ा है। उसने इस घर के...
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