aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "برائے"
डायरेक्टर क़ौमी कौंसिल बरा-ए-फ़रोग़-ए-उर्दू ज़बान, नई दिल्ली
पर्काशक
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्, नई दिल्ली
नेशनल कमेटी बरा-ए-सात सौ साला तक़रीबात अमीर ख़ुसरो
इदारा बरा-ए-मुताला-ओ-तहक़ीक़-ओ-तारीख़, दकन
इदारा बरा-ए-मुताला व तहक़ीक़ तारीख़-ए-दकन, शोलापुर
काउन्सिलस बराए साइंस-ओ-अदब, मुरादाबाद
मर्कज़ बराये उर्दू ज़बान, हैदराबाद
मरकज़ी इदारा बरा-ए-हिंदुस्तानी ज़बान, कर्नाटक
इस्लामिक फाउंडेशन बराए साइंस वा माहोलियात, नई दिल्ली
अकादमी बरा-ए-फ़रोग़-ए-इस्तेदाद उर्दू असातिज़ा जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
मरकज़-ए-हबीब बरा-ए-तहक़ीक-ओ-तस्नीफ़, अलीगढ
ऑनलाइन इशाअ'त बराए बरकात लाइब्रेरी
जिन्नाह यूनिवर्सिटी बराये ख़्वातीन, कराची
नग़मा-ए-हयात बरा-ए-मक्तबतुल हयात, गया
वकालत बराए मतबूआत-ओ-इल्मी तहक़ीक़ात, सऊदी अरब
सर में न दर्द हो कहीं ऐ मह-लक़ा न रोबस बस न रो हुसैन बरा-ए-ख़ुदा न रो
एक रुक्न ने जो चश्मा लगाए थे और हफ़्तावार अख़बार के मुदीर-ए-ए’ज़ाज़ी थे, तक़रीर करते हुए कहा, “हज़रात हमारे शह्र से रोज़ ब-रोज़ ग़ैरत, शराफ़त, मर्दानगी, नेको-कारी-ओ-परहेज़गारी उठती जा रही है और इसकी बजाए बे-ग़ैरती, ना-मर्दी, बुज़दिली, बदमाशी, चोरी और जालसाज़ी का दौर-दौरा होता जा रहा है। मुनश्शियात का इस्ते’माल...
ज़मीं बनाई गई आसमाँ बनाया गयाबराए-इश्क़ ये सारा जहाँ बनाया गया
فوجوں پہ جا پڑیں یہ دلوں کی ہوئی امنگتن تن کے برچھیاں جو سنبھالیں برائے جنگ
एक इलाज-ए-दाइमी है तो बरा-ए-तिश्नगीपहले ही घूँट में अगर ज़हर मिला दिया करो
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दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है। इस त्योहार का जश्न चुनिंदा उर्दू शायरी के साथ मनाइए।
इस चयन में अख़्तरुल ईमान की कुछ नज़्में शामिल हैं। ग़ज़ल शैली को आमतौर पर उर्दू में सराहा जाता है और लगभग हर शायर ग़ज़ल लिखने की कोशिश करता है, लेकिन अख़्तरुल ईमान ने ग़ज़ल के बजाय नज़्मों को चुना और नज़्म के एक सफ़ल शायर के रूप में लोकप्रिय हो गए, उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "एक लड़का है" जो इस चयन का हिस्सा है हम इस चयन के माध्यम से उन्हें उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि पेश करते हैं ।
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लिए, प्रति, वास्ते
Makhzan-e-Adab
मौलवी मोहम्मद अब्दुल शहीद
पाठ्य पुस्तक
उर्दू की अदबी तारीख़ का ख़ाका
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
इतिहास
450 Sawal-o-Jawab Barae Sehat-o-Ilaj Aur Medical Staff
हाफ़िज़ अब्दुल्लाह सलीम
औषधि
Usool-e-Siyasiyat
मोहम्मद रहमत अली
भारत
Syllabus: Department Of Urdu
शाह अकबर दाना पुरी
तल्हा रिज़वी बर्क़
शोध
बराए फ़रोख्त
मोहम्मद हामिद सिराज
अफ़साना
Hidayaat Baraye Jamaat Ahmadiya
मौलवी मोहम्मद अली
इस्लामियात
मुनाज़रे मुज़क्कर-ओ-मोअन्नस के
अता आबिदी
कहानी
Asif Jah Sabe Ki Urdu Khidmat
मीर अहमदुद्दीन अली ख़ाँ
Hisab Barae Jamaat Panjum
मोहम्मद फ़ाज़िल
Taleem Bara-e-Azadi
Riyaz-us-Shora
अली क़ुली ख़ान
अनुक्रमणिका / सूची
Tohfa-e-Iqbal Bara-e- Atfal
नुसरत शम्सी
संकलन
Bara-e-Naam
यूसूफ़ नाज़िम
गद्य/नस्र
لیکن برائے گوش حکیمان راز جوعالم میں صرف ایک سخن گفتنی ہے تو
बराए नाम हैं उन से मरासिमबराए नाम जीना पड़ रहा है
नहीं अदब ये बराए दिल्ली मैं साफ़ ऐ’लान कर रहा हूँ...
بسان شانہ زینت ریز ہے دست سلام اس کا اس شروع کے دور میں غالب کا کلام لوگوں کو حیرت میں ڈال دیتا ہوگا۔ شعر سن کر لطف آنا چاہئے، اس کے بجائے ان کے علم اور عقل کا امتحان ہوتا تھا، لیکن غالب کے کلام کو نظرانداز کرنا بھی...
मुझे वो वक़्त अच्छी तरह याद है जैसे कल की बात हो। सुब्ह के दस ग्यारह बजे होंगे। रेलवे स्टेशन से लड़कियों के ताँगे आ आकर फाटक में दाख़िल हो रहे थे। होस्टल के लॉन पर बरगद के दरख़्त के नीचे लड़कियाँ अपना-अपना अस्बाब उतरवा कर रखवा रही थीं। बड़ी...
मिर्ज़ा अब्दुल वदूद बेग का दावा कुछ ऐसा ग़लत मालूम नहीं होता कि क्रिकेट बड़ी तेज़ी से हमारा क़ौमी खेल बनता जा रहा है। क़ौमी खेल से ग़ालिबन उनकी मुराद ऐसा खेल है जिसे दूसरी कौमें नहीं खेलतीं। हम आज तक क्रिकेट नहीं खेले लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि...
اصلی شاعر وہی ہے جس کو سامعین سے کچھ غرض نہ ہو۔ لیکن جو لوگ بہ تکلف شاعر بنتے ہیں، ان کا بھی فرض ہے کہ ان کے انداز کلام سے یہ مطلق نہ پایا جائے کہ وہ سامعین کو مخاطب کرنا چاہتے ہیں۔ ( ایک ایکٹر کو خوب معلوم...
آئی ہر سمت سے فردوس کے پھولوں کی شمیمجھک گئے انفس و آفاق برائے تسلیم
“अभी बंदोबस्त करता हूँ।” सेक्रेटरी फ़ौरन बोला और फ़ौरन जाकर उसने अपने महकमे में रिपोर्ट पेश की। दूसरे दिन सेक्रेटरी भागा-भागा शाइ'र के पास आया और बोला, “मुबारक हो, मिठाई खिलाओ, हमारी सरकारी अकादमी ने तुम्हें अपनी मर्क़ज़ी कमेटी का मेंबर चुन लिया है। यह लो परवाना-ए-इंतिख़ाब!”...
رخصت نہ دے گی تو اگر اس نور عین کوکون اب بچائے گا مرے بیکس حسینؔ کو
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