aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بیچتے"
कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिलवो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चेबेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे
जुर्माना तो ज़ाहिर है अख़बार का मालिक अदा कर देगा, मगर क़ैद तो वो अदा नहीं कर सकता। लेकिन इन दो पार्टियों के दरमियान इस क़िस्म का मुआ’हिदा होता है कि अगर क़ैद हुई तो वो उसके घर इतने रुपये माहवार पहुंचा दिया करेगा। ऐसे मुआ’हिदे में ख़िलाफ़वर्ज़ी बहुत कम...
'सुरूर' जिंस-ए-वफ़ा बेचते नहीं फिरतेजिगर के दाग़ दिखाना तो सब को आता है
बच्चों का बाप मुस्कुराता है, “जितने कहो, बस यही बात थी?” बड़े तल्ख़ लहजे में चिरंजी की बीवी कहती है, “बस यही बात थी लेकिन मुझे सिर्फ़ झुमके ही नहीं चाहिए, नाक के लिए कील, हाथों के लिए कंगनियाँ, कड़े, गले के लिए हार, माथे के लिए झूमर, पांव के...
बेचतेبیچتے
sold
escaped
Ihata-e-Darul Uloom Mein Beete Huye Din
सय्यद मनाज़िर अहसन गीलानी
संस्मरण
Beete Lahme: Yadon Ke Charagh
ज़किया सुल्ताना नय्यर
आत्मकथा
Beete Lamhe Beeti Yaden
हमीदा बानो
Topi Bechne Wala Aur Bandar
कहानी
Beete Din
मुज़्तर हाश्मी
नॉवेल / उपन्यास
मेरे गुज़शता रोजो़-शब
जगन्नाथ आज़ाद
Beete Huye Lamhat
शकील अख़्तर हापुड़ी
काव्य संग्रह
Beete Lamhon Ki Kasak
इफ़तिख़ार अज़ीम चाँद
दत्त भारती
Hath Bechne Wale
नजमुल हसन रिज़वी
कि़स्सा / दास्तान
Beete Lamhon Ki Saughatein
परवेज़ मानूस
Beete Huwe Lamhe
Beete Dinon Ka Mausam
उरूज़ अहसद उरूज़
जब अब भी कोई जवाब न मिला तो उन्होंने घोड़े को एक गाड़ी से मिला दिया और एक बोरे को टटोला। शुबह यक़ीन से हम-आग़ोश था। ये नमक के ढेले थे। पण्डित अलोपीदीन अपने सजीले रथ पर सवार कुछ सोते कुछ जागते चले आते थे। कि कई घबराए हुए गाड़ीबानों...
سر بیچتے تھے، جنسِ شہادت کے طلبگاربڑھ بڑھ کے خریدار پہ گرتا تھا خریدار
بازار میں جا کے بیچے گوہرمفلس سے ہوا وہ صاحب زر
न मैं दिल को अब हर मकाँ बेचता हूँकोई ख़ूब-रू ले तो हाँ बेचता हूँ
क़ाज़ी ने मुझसे पूछा, क़ुबूल है? उनके सामने मुंह से हाँ कहने की जुर्अत न हुई। बस अपनी ठोड़ी से दो मोअद्दबाना ठोंगें मार दीं जिन्हें क़ाज़ी और क़िबला ने रिश्ता-ए-मुनाकिहत के लिए नाकाफ़ी समझा। क़िबला कड़क कर बोले, लौन्डे! बोलता क्यों नहीं? डांट से मैं नर्वस हो गया। अभी...
बूढ़ी ख़ाला ने अपनी दानिस्त में तो गिर्या-ओ-ज़ारी करने में कोई कसर न उठा रखी। मगर ख़ूबी-ए-तक़दीर कोई इस तरफ़ माइल न हुआ। किसी ने तो यूँ ही हाँ, हूँ कर के टाल दिया, किसी ने ज़ख़्म पर नमक छिड़क दिया, ज़रा इस हवस को देखो क़ब्र में पैर लटकाए...
मेरी बीवी ने कहा, “हम भी अपनी बच्ची बेच दें।” डरते-डरते, शर्मिंदा, मह्जूब सी हो कर उसने ये अलफ़ाज़ कहे और फिर फ़ौरन ही चुप हो गई। उसने कनखियों से मेरी तरफ़ देखा। जैसे वो अपने अलफ़ाज़ के ताज़ियानों का असर देख रही हो। उसकी निगाहों में एक ऐसा एहसास-ए-जुर्म...
"वो जो मसीत के बराबर वाले बँगले में रहती हैं।" बेगम तुराब अली ने उस इलाक़े का नक़्शा ज़हन में जमाया ज़रा देर ग़ौर किया, फिर बोलीं, "अच्छा बख़्श इलाही साहिब का मकान?"...
एक कर्नल साहब हैं। रिटायर्ड, बहुत बड़ी कोठी में अकेले दस बारह छोटे-बड़े कुत्तों के साथ रहते हैं। हर ब्रांड की विस्की उनके यहां मौजूद रहती है। हर रोज़ शाम को चार पैग पीते हैं और अपने साथ किसी न किसी लाडले कुत्ते को भी पिलाते हैं। मैंने अब तक...
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