aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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परिणाम "جانی_پہچانی"
ये जानी-पहचानी सोचेंकितनी हैं ज़हरीली सोचें
ये बस्ती जानी पहचानी बहुत हैयहाँ वा'दों की अर्ज़ानी बहुत है
ये बस्ती जानी-पहचानी बहुत हैयहाँ वा'दों की अर्ज़ानी बहुत है
शक्ल सहरा की हमेशा जानी-पहचानी रहेमेरे आगे पीछे दाएँ बाएँ वीरानी रहे
कोई मिलने को न सूरत जानी-पहचानी बढ़ीशहर में रौनक़ हुई तो और वीरानी बढ़ी
मोहब्बत के क़िस्से और महबूब के क़सीदे उर्दू शायरी में जितने आ’म हैं उतनी ही शोहरत महबूब की ज़ुल्म करने की आदत की भी है। आशिक़ दिल के हाथों मजबूर वह दीवाना होता है जो तमामतर जफ़ाओं और यातनाओं के बावजूद मोहब्बत से किनारा करने को तैयार नहीं। इन जफ़ाओं का तिलिस्म शायरों के सर चढ़ कर बोलता रहा है। जफ़ा शायरी के इसी रंग रूप से आशनाई कराने के लिए पेश है यह इन्तिख़ाबः
अल्लामा इक़बाल की शख़्सियत एक अह्द-साज़ शायर और फ़लसफ़ी के तौर पर जानी और पहचानी जाती है। इस कलेक्शन में उनकी कुछ ग़ज़लें शामिल हैं और ख़ास बात ये है कि आप इन ग़ज़लों को ज़िया मोहीउद्दीन की आवाज़ में सन भी सकते हैं।
ज़ेहन में ऐसे ग़लत ख़याल का आना जिस का सच्चाई से कोई वास्ता न हो, आम बात है। लेकिन यह बदगुमानी अगर रिश्तों के दर्मियान जगह बना ले तो सारी उम्र की रोशनी को स्याही में तब्दील कर देती है। आशिक और माशूक़ उस आग में सुलगते और तड़पते रहते हैं जिसका कोई वजूद होता ही नहीं। पेश है बदगुमानी शायरी के कुछ चुनिंदा अशआरः
जानी-पहचानीجانی پہچانی
known and recognized
Jane Pehchane Log
अर्श सहबाई
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Jan Pehchan
रईस सिद्दीक़ी
Jan Pahchan
नज़ीर सिद्दीक़ी
स्केच / ख़ाका
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रज़ा अली आबिदी
महिलाओं की रचनाएँ
Jane Pahchane Log
सफ़दर इमाम क़ादरी
अननोन ऑथर
इंटरव्यू / साक्षात्कार
नरेश कुमार शाद
दुनिया जानी-पहचानीहस्ती अपनी अनजानी
’’غربت اچھی کہ نئی دنیا، نیا آسمان نئے مناظر پیش نظر ہوتے ہیں۔ نہیں، وطن اچھا کہ پرانے دوست، پرانے رفیق، جانی پہچانی آوازیں، جانی پہچانی صورتیں، سنائی دیتی ہیں، دکھائی دیتی ہیں۔...
میں نے دیکھا۔۔۔ ایک جانی پہچانی صورت تھی۔ میں خاموش رہا اور مسکراتا رہا۔...
दुनिया मेरी दीवानी हैसूरत जानी पहचानी है
اے گھر کے در و دیوارو! اے جانی پہچانی راتو!...
गूँज रही है सन्नाटे मेंएक सदा जानी पहचानी
दूर-दराज़ जानी पहचानी सी सड़कें हैंजाने पहचाने लोग
ढूँढती है निगाह भगदड़ मेंकोई सूरत हो जानी-पहचानी
एक ख़ुश्बू है जानी पहचानीइस ख़राबे में कौन रहता है
तुम्हारी गुफ़्तुगू से लग रहा हैहै ख़ुशबू जानी-पहचानी हमारी
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