aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دسمبر"
दिगम्बर प्रसाद गाैहर देहलवी
died.1988
शायर
यकुम जनवरी है नया साल हैदिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसीज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर सेमिरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी
रक़्स-ए-दीवानगी आँगन में जो देखा होगाछे दिसम्बर को श्री राम ने सोचा होगा
बर्फ़ की तरह दिसम्बर का सफ़र होता हैहम उसे साथ न लेते तो रज़ाई लेते
दिसम्बरدسمبر
December
Prem Chand Number: October-December: Shumara Number-084
असग़र हुसैन क़ुरैशी
तकमील
Nassakh Number: November-December: Shumara Number-021-024
मोहम्मद मुस्तफ़ा
मग़रिबी बंगाल
Naat Number: July-December: Shumara Number-002,003
अब्दुल ग़फ़्फ़ार
निज़ाम कॉलेज उर्दू मैगज़ीन
December Ke Baad
शहज़ाद क़ैस
December: Shumara Number-008
अफ़्सर सहबाई
आज़र
Gosha-e-Baqar Mehdi: July-December: Shumara Number-075,076
मज़हर सलीम
Ali Sardar Jafri Number: July-December: Shumara Number-003,004
मलिका नसीम
27 December
सय्यद मोहम्मद अली शाह ज़ैदी
नॉवेल / उपन्यास
Ariya Musafir,Jalandhar
लाला मुंशी राम प्लीडर
Iqbal Sadi Number: December: Shumara Number-023
रियाज़ अहमद खान
क़ौमी राज
Shumara Number-012: December
वफ़ा मलिकपुरी
सुब्ह-ए-नौ
January-December : Shumara Number-001-003
मोहम्मद रियाज़ किरमानी
आयात, अलीगढ़
Hali Aur Sar-Zameen-e-Hali Number: July-December: Shumara Number-003,004
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
जम्ना तट
December: Shumara Number-012
शैख़ मोहम्मद अब्दुल्लाह
ख़ातून, अलीगढ़
December: Shumara Number-011
मोहम्मद ज़फरुद्दीन नासिर
हकीम-ए-दकन
यादों की शाल ओढ़ के आवारा-गर्दियाँकाटी हैं हम ने यूँ भी दिसम्बर की सर्दियाँ
उससे तीसरी मर्तबा मेरी मुलाक़ात फिर अपोलोबंदर पर हुई। इस दफ़ा मैं उसे अपने घर ले गया। रास्ते में हमारी कोई बातचीत न हुई लेकिन घर पर उसके साथ बहुत सी बातें हुईं। जब वो मेरे कमरे में दाख़िल हुआ तो उसके चेहरे पर चंद लम्हात के लिए उदासी छा...
पिछले बरस तुम साथ थे मेरे और दिसम्बर थामहके हुए दिन-रात थे मेरे और दिसम्बर था
ये साल भी उदासियाँ दे कर चला गयातुम से मिले बग़ैर दिसम्बर चला गया
धड़कता तो है मुस्कुराता नहींदिसम्बर मुझे रास आता नहीं
इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ करगुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले
फिर आ गया है एक नया साल दोस्तोइस बार भी किसी से दिसम्बर नहीं रुका
उम्मीद कर चुका था नए साल से बहुतइक और ज़ख़्म दे के दिसम्बर चला गया
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