aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سب_کو"
सब को देखा सब को परखा कोई नहींतुम जो हो जैसे हो ऐसा कोई नहीं
सब को निशाना करते करतेख़ुद को मार गिराया हम ने
सब को है चैन सासब को है आसरा
نشہ پلا کے گرانا تو سب کو آتا ہے مزا تو جب ہے کہ گرتوں کو تھام لے ساقي
सब को अपनी तरह समझती हैयार तू भी न कितनी भोली है
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
सब को रोज़गार मिले
बी टी रिंदेवे
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Qutub Mushtari Aur Uska Tanqeedi Jaiza
वहाब अशरफ़ी
शोध
सब को दिखलाऊँगा हुनर अपनाछोड़ जाऊँगा मैं असर अपना
बाक़ी सब को हराना पड़ता हैउस को तन्हा जिताना पड़ता है
तबाह कर गया सब को मिरे घराने कावही जुनून हथेली पे फूल उगाने का
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो जब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आताकिसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
सब को मारा 'जिगर' के शेरों नेऔर 'जिगर' को शराब ने मारा
आता है यहाँ सब को बुलंदी से गिरानावो लोग कहाँ हैं कि जो गिरतों को उठाएँ
मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब कोबाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रक्खा है
सब को पागल बना रही हूँ मैंअपना क़िस्सा सुना रही हूँ मैं
सब को मा'लूम है ये बात कहाँदिन कहाँ काटता हूँ रात कहाँ
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