आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "محشر_بداماں"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "محشر_بداماں"
नज़्म
इज़हार-ए-मोहब्बत
तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है
तुम्हारा सरापा है महशर-ब-दामाँ
अफ़ज़ल पेशावरी
नज़्म
मेरी ज़िंदगी के दो रुख़
महशर-ब-दामाँ लहजा है दुनिया का एक एक
माज़ी के ढूँढता है मगर तू निशाँ कहीं
जयकृष्ण चौधरी हबीब
समस्त
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "محشر_بداماں"
अन्य परिणाम "محشر_بداماں"
ग़ज़ल
न फ़ासलों में ख़लिश न राहत है क़ुर्बतों में
मैं जी रहा हूँ अजीब बे-रंग साअ'तों में
मुमताज़ राशिद
ग़ज़ल
'महशर' हैं ‘दिलावर’ हैं हैं ‘इरफ़ान’-ओ-‘असअ'द’ भी
मैं भी हूँ बदायूँ से मुझे कम न समझना
अनीस क़ल्ब
ग़ज़ल
निराले रंग में फ़स्ल-ए-बहाराँ आई है यारो
खिले हैं फूल भी इस बार लेकिन दिल नहीं लगता