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ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
बच्चों की कहानी
“अब तक इस मकान में झाड़ू नहीं दी गई?” शमीम ने रौब जमाया... “तो बड़ी काम-चोर हो गई है शहनाज़।”...