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ग़ज़ल
ताराज-ए-शोख़ी-ए-निगह-ए-नाज़ हो गया
वो दिल कि दर्द-ए-इश्क़ की दुनिया कहें जिसे
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
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अप्रचलित ग़ज़लें
نگاہ ناز نے جب عرض تکلیف شرارت کی
دیا ابرو کو چھیڑ اور اس نے فتنے کو اشارت کی
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
है नाज़-ए-मुफ़्लिसाँ ज़र-ए-अज़-दस्त-रफ़्ता पर
हूँ गुल-फ़रोश-ए-शोख़ी-ए-दाग़-ए-कोहन हुनूज़
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तराज़-ए-शोख़ी-ए-पा है ग्याह-ए-सब्ज़ की माँग
ख़िराम-ए-नाज़ का अंदाज़ आब-जू माँगे
गौहर होशियारपुरी
ग़ज़ल
न ये शोख़ी न ये वहशत न ये ग़म्ज़ा न ये नाज़
क्या ग़ज़ालान-ए-हरम करते तिरी ख़ू पैदा
मुंशी बनवारी लाल शोला
ग़ज़ल
हम कहाँ बज़्म-ए-गह-ए-नाज़ कहाँ फिर ये ग़ज़ल
अर्ज़-ए-अहवाल-ओ-शिकायात चली जाती है