aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "इंजेक्शन"
तसल्लियां और दिलासे बेकार हैं। लोहे और सोने के ये मुरक्कब में छटांकों फांक चुका हूँ। कौन सी दवा है जो मेरे हलक़ से नहीं उतारी गई। मैं आपके अख़लाक़ का ममनून हूँ मगर डाक्टर साहब मेरी मौत यक़ीनी है। आप कैसे कह रहे हैं कि मैं दिक़ का मरीज़...
मेरा क़ियाम “बटोत” में गो मुख़्तसर था। लेकिन गूनागूं रुहानी मसर्रतों से पुर। मैंने उसकी सेहत अफ़्ज़ा मुक़ाम में जितने दिन गुज़ारे हैं उनके हर लम्हे की याद मेरे ज़ेहन का एक जुज़्व बन के रह गई है जो भुलाये न भूलेगी... क्या दिन थे! बार-बार मेरे दिल की गहराईयों...
अब गहरे साँवले रंग की औरत बाक़ी रह गई थी जो ख़ामोश बैठी सिगरेट पी रही थी। आँखें सुर्ख़ थीं जिनसे काफ़ी बेहयाई मुतरश्शेह थी। बाबू गोपीनाथ ने उसकी तरफ़ इशारा किया और सेनडो से कहा, “इसके मुतअल्लिक़ भी कुछ हो जाये।” सेनडो ने उस औरत की रान पर हाथ...
नंबरदार का बेटा, पटवारी का बेटा, पटवारी का बेटा, नंबरदार का बेटा, वो दोनों को ज़बान दे चुकी थी, दोनों से शादी करने का इक़रार कर चुकी थी, दोनों पर मर मिटी थी। नतीजा ये हुआ कि वो आपस में लड़ते-लड़ते लहू-लुहान हो गए। और जब जवानी का बहुत सा...
इसमें शक नहीं कि हमारे हाँ बाइज़्ज़त तरीक़े से मरना एक हादिसा नहीं, हुनर है जिसके लिए उम्र-भर रियाज़ करना पड़ता है और अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे तो ये हर एक के बस का रोग भी नहीं। बिलखुसूस पेशेवर सियासतदान उसके फ़न्नी आदाब से वाक़िफ़ नहीं होते। बहुत कम...
इंजेक्शनانجکشن
injection
Shumara Number-000
जमील अहमद
Jun 1976इलेक्शन रिपोर्ट
और अ’ज़ीज़ नहा-धो कर जब किसी काम की ग़रज़ से बाहर गया तो जानकी ने मुझसे सईद के नाम तार लिखने के लिए कहा, “मुझे कल यहां पहुंचते ही उन्हें तार भेजना चाहिए था। कितनी ग़लती हुई मुझसे उन्हें बहुत तशवीश होरही होगी।” उसने मुझसे तार का मज़मून बनवाया जिसमें...
मुझे यक़ीन है वो अब भी हँस रहा होगा। कीड़े उसकी खाल को खा रहे होंगे। हड्डियाँ मिट्टी में मिल रही होंगी। मुल्लाओं के फ़तवों से उसकी गर्दन दब रही होगी। आरों से उसका जिस्म चीरा जा रहा होगा मगर वो हँस रहा होगा। आँखें शरारत से नाच रही होंगी।...
हनीफ़ ने कहा, “ये तुमने कैसे समझा कि उसका दिमाग़ नॉरमल नहीं।” ख़ान ने जवाब दिया, “भई, मेरा ख़याल है, नॉरमल औरत होती तो अपने डेढ़ दो हज़ार के ज़ेवर एक अजनबी के पास क्यों छोड़ जाती... इसके इलावा उसको मोरफ़िया के इंजेक्शन लेने की आदत है।”...
डॉक्टर आ गया... उसका नाम पिंटू था और मैं वमटो... उसने मम्मद भाई को अपने क्रिस्चियन अंदाज़ में सलाम किया और पूछा कि मुआमला क्या है। जो मुआमला था, वो मम्मद भाई ने बयान कर दिया। मुख़्तसर, लेकिन कड़े अल्फ़ाज़ में, जिनमें तहक्कुम था कि देखो अगर तुमने वमटो भाई...
उसकी बिटिया दम तोड़ चुकी थी और उसकी बीवी बेहोश पड़ी थी। ज़ाहिद ने अपना सर पीटना शुरू कर दिया। हमसाईयां पर्दे को भूल कर बेइख़्तियार अंदर चली आईं और ज़ाहिद को उस कमरे से बाहर निकाल दिया। एक हमसाई के शौहर के पास मोटर थी, वो एक डाक्टर ले...
डाक्टर काँपने लगा... अताउल्लाह आगे बढ़ा और उससे मुख़ातिब हुआ, “ऐसा इंजेक्शन दे दो कि फ़ौरन मर जाये।” डाक्टर ने काँपते हुए हाथों से अपना बैग खोला और सिरिंज में ज़हर भर के ज़ैनब के टीका लगा दिया। टीका लगते ही वो फ़र्श पर गिरी और मर गई। उसकी ज़बान...
सात कुंओं का पानी इकठ्ठा किया गया। उसमें ये तावीज़ घोल कर ख़ालिद को पिलाया गया। कोई असर न हुआ। हमसाई आई। वो एक यूनानी दवा तजवीज़ कर गई। मुमताज़ ये दवा ले आया मगर उसने ख़ालिद को न दी। शाम को मुमताज़ का एक रिश्ते दार आया। साथ उसके...
“बाई गॉड अम मरना मांगता...एक दम मरना मांगता...युसु मसीह मगर वो फिर रुक गया। लेकिन इदर में नहीं...उदर में अपना रुम में...अपना रुम में...अपना बेबी के सामने में...!” वो लपकता हुआ नाले के किनारे चलने लगा...फिर एक बड़े से पत्थर का सहारा लेकर बाहर आ गया और दाहिनी तरफ़ इलाक़े...
अख़्तर दिल ही दिल में हंसता था। उसे मालूम था कि उसे बचाने वाला कौन है। वो कोई इंजेक्शन नहीं था, कोई दवाई ऐसी नहीं थी, वो मंज़ूर था। मफ़्लूज मंज़ूर, जिसका निचला धड़ बिल्कुल नाकारा हो चुका था, जिसे ये ख़ुश-फ़हमी थी कि उसके गोश्त पोस्त के बेजान लोथड़े...
मैं उससे कहता, “मेरी तरफ़ देखो गोल्डी... मैं अच्छा हो गया हूँ... ख़ुदा ने तुम्हारी दुआ क़बूल करली है,” लेकिन वो आँखें न खोलता। मैंने दो-तीन दफ़ा डाक्टर बुलाया। उसने इंजेक्शन लगाए पर कुछ न हुआ। एक दिन मैं डाक्टर लेकर आया तो उसका दिमाग़ चल चुका था। मैं उठा...
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