aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "गुज़ारा"
अल-मीनार इंटरप्राइज़ेज़, गुजरात, पाकिस्तान
पर्काशक
नेक्षस स्टोरीस पब्लीकेशन,सूरत गुजरात
दारुल उलूम महमुदिया, सुरत, गुजरात
गन्धारा बुकस, रावलपिन्डी
सय्यदैन ख़ादिम-ए-ख़लक़, गुजरात
निज़ामी बुक डिपो पालनपूर, गुजरात
सुन्नी मुस्लीम कमेटी, गुजरात
गुजरात उर्दू लिटरेरी एण्ड कल्चरल अकेडमी
मकतबा नाैशाहिया, गुजरात
मक्तबा सईदिया, गुजरात
मज्लिस माअरिफ़ कापोदरा, गुजरात
शाैक़त बुक डिपो, गुजरात
सैफ़ी प्रिन्टिंग वर्कस, गुजरात
वादी अदब पब्लिकेशन, गुजरान वाला
गुजरात उर्दू बोर्ड, अहमदाबाद
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल सेफिर तिरा वादा-ए-शब याद आया
अगर ये कह दो बग़ैर मेरे नहीं गुज़ारा तो मैं तुम्हाराया उस पे मब्नी कोई त'अस्सुर कोई इशारा तो मैं तुम्हारा
कई साल से कुछ ख़बर ही नहींकहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की
तुझ से जब मिल कर भी उदासी कम नहीं होतीतेरे बग़ैर गुज़ारा कैसे हो सकता है
ख़ूबसूरत घटाओं-भरी रात में लुत्फ़ उठाया करो ऐसी बरसात मेंजाम ले कर छलकता हुआ हाथ में मय-कदे में भी इक शब गुज़ारा करो
इश्क़ और प्रेम पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत, इश्क़ और प्रेम के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
मोहब्बत पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
शेर-ओ-अदब के समाजी सरोकार भी वाज़ेह रहे हैं और शायरों ने इब्तिदा ही से अपने आप पास के मसाएल को शायरी का हिस्सा बनाया है अल-बत्ता एक दौर ऐसा आया जब शायरी को समाजी इन्क़िलाब के एक ज़रिये के तौर पर इख़्तियार किया गया और समाज के निचले, गिरे पड़े और किसान तबक़े के मसाएल का इज़हार शायरी का बुनियादी मौज़ू बन गया। आप इन शेरों में देखेंगे कि किसान तबक़ा ज़िंदगी करने के अमल में किस कर्ब और दुख से गुज़र्ता है और उस की समाजी हैसियत क्या है।किसानों पर की जाने वाली शायरी की और भी कई जहतें है। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।
गुज़ाराگُزارہ
गुज़ाराگُزارَہ
खर्च, आजीविका, निर्वाह
गुज़ाराگُزارا
गुजाराگرازہ
हंस कर गुज़ार दे
पॉपुलर मेरठी
शायरी
इंतिख़ाब ग़ुबार-ए-ख़ातिर
अबुल कलाम आज़ाद
लेख
गुजरात के बाद हालात और हल
सय्यद अब्दुल्लाह तारिक़
भारत का इतिहास
उर्दू ग़ज़ल गुजरात मैं
सय्यद ज़हीरूद्दीन मदनी
आईन-ए-गुजरात
मिर्ज़ा मोहम्मद हसन
इतिहास
ख़्वाजगान-ए-चिश्त गुजरात
मोहम्मद फ़ज़लुल मतीन चिश्ती
चिश्तिय्या
शोरा-ए-गुजरात
ए.एम.शोला
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
गुजरात के उलमा-ए-हदीस-ओ-तफ़सीर
महबूब हुसैन अहमद हुसैन अब्बासी
ग़ुबार-ए-ख़ातिर
नॉन-फ़िक्शन
गियारा हंस और एक शहज़ादी
सय्यद हामिद हुसैन
गुजराल कमिटी
ख़लीक़ अंजुम
तज़्किरा-ए-शोअरा-ए-गुजरात
क़ाज़ी नूरुद्दीन फ़ाइक़
Urdu Aur Uske Masail
इंद्र कुमार गुजराल
व्याख्यान
ग़ुबार-ए-फ़िक्र
सलीम शुजाअ अंसारी
काव्य संग्रह
ग़ुबार-ए-अंजुम
ताबिश देहलवी
गुज़री न ब-हर-हाल ये मुद्दत ख़ुश ओ ना-ख़ुशकरना था जवाँ-मर्ग गुज़ारा कोई दिन और
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
हिज्र करते या कोई वस्ल गुज़ारा करतेहम बहर-हाल बसर ख़्वाब तुम्हारा करते
हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाएइतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए
तारों की बहारों में भी 'क़मर' तुम अफ़्सुर्दा से रहते होफूलों को तो देखो काँटों में हँस हँस के गुज़ारा करते हैं
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
एक दिन जमीला ने अपने शौहर को ये मुज़्दा सुनाया कि उसे एक अमीर घराने में मौसीक़ी सिखाने की ट्युशन मिल रही है। महमूद ने ये सुन कर उससे कहा, “नहीं ट्युशन-व्युशन बकवास है... हम लोग आर्टिस्ट हैं।” उसकी बीवी ने बड़े प्यार के साथ कहा, “लेकिन मेरी जान गुज़ारा...
रौशन है मिरी 'उम्र के तारीक चमन मेंइस कुंज-ए-मुलाक़ात में जो वक़्त गुज़ारा
आइने का साथ प्यारा था कभीएक चेहरे पर गुज़ारा था कभी
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