आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "गेसू-ए-पेचीदा-ओ-रक़्साँ"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "गेसू-ए-पेचीदा-ओ-रक़्साँ"
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "गेसू-ए-पेचीदा-ओ-रक़्साँ"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "गेसू-ए-पेचीदा-ओ-रक़्साँ"
अन्य परिणाम "गेसू-ए-पेचीदा-ओ-रक़्साँ"
ग़ज़ल
ज़माना क़िस्सा-ए-दार-ओ-रसन को भूल न जाए
किसी के हल्क़ा-ए-गेसू में वो कशिश ही नहीं
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
ज़ौक़ ओ शौक़
क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं
गरचे है ताब-दार अभी गेसू-ए-दजला-ओ-फ़ुरात!
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
उड़ गया है मंज़िल-ए-दुश्वार में ग़म का समंद
गेसू-ए-पुर-ए-पेच-ओ-ख़म के ताज़ियाने की कहो
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
निकले न फँस के गेसू-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म से दिल
साहिल पे ख़ाक पहुँचे जो कश्ती भँवर में है
दत्तात्रिया कैफ़ी
कुल्लियात
उन्हीं की तब्अ' जान-ए-'मीर' माइल होगी सुम्बुल की
नहीं देखे जिन्हों ने गेसू-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म तेरे
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
रिश्ता-ए-जाँ में गिरह पड़ गई उलझन के सबब
दिल को जब गेसू-ए-पुर-पेच-ओ-शिकन याद आया