आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चश्म-ए-बसीरत"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "चश्म-ए-बसीरत"
ग़ज़ल
मक़्सद-ए-हुस्न है क्या चश्म-ए-बसीरत के सिवा
वज्ह-ए-तख़्लीक़-ए-बशर क्या है मोहब्बत के सिवा
गुलज़ार देहलवी
नअत
क्यों न मंज़ूर-ए-नज़र हो तेरे कूचे का ग़ुबार
'ऐन ये तो सुर्मा-ए-चश्म-ए-बसीरत हो गया
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
समस्त