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नज़्म
कुछ नहीं बदलने वाला
फिर से आ गया है चुनाव का मौसम पांच-साला
पर अस्ल में कुछ नहीं बदलने वाला
माधव अवाना
तंज़-ओ-मज़ाह
चुनाव मेनीफेस्टो, जिसमें बाद में तोड़ने के लिए वादे किए जाते हैं। इंतख़ाबी तक़रीर, इलेक्शन ...
फ़िक्र तौंसवी
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विषय
चुनाव
चुनाव
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हास्य
मोहब्बतें हो रही हैं ज़ख़्मी किसे ख़बर है
अभी हैं मसरूफ़ अपने रिश्ते चुनाव में सब
राज़िक़ अंसारी
कहानी
ये बात है नवाब बी-बी तो अब क्यों सर पीट कर बाहर निकल गया, लड़के ने अपनी बीवी तलाश कर ली, तो...
मुमताज़ मुफ़्ती
ग़ज़ल
मौसम बहुत क़रीब है 'साहिल' चुनाव का
यूँही नहीं है हम पे इनायत का सिलसिला
अज़ीमुद्दीन साहिल साहिल कलमनूरी
तंज़-ओ-मज़ाह
मौलाना शाह अहमद नूरानी साहब का पिछले दिनों अख़बार में एक बयान पढ़ा। बयान किया था, इश्तिहार...