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ग़ज़ल
इब्न-ए-चमन है तेरी वफ़ाओं पे जाँ-निसार
अपना बना के तू ने मुकम्मल क्या मुझे
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
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नज़्म
मर्सिया बाल-गंगा-धर-तिलक
जाँ-निसार-ए-अज़ली शेर-ए-दकन का वारिस
पेशवाओं के गरजते हुए रन का वारिस
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
गाँधी
मुश्किल है कोई तुझ सा मिले जाँ-निसार-ए-क़ौम
कहने को यूँ तो मुल्क में लीडर हैं बे-शुमार
धर्मपाल आक़िल
नज़्म
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
तड़प रहे हैं जुदाई में बे-क़रार-ए-वतन
चले हैं आलम-ए-बाला को जाँ-निसार-ए-वतन
आफ़ताब रईस पानीपती
ग़ज़ल
कहीं मुँह फेरता है जाँ-निसार-ए-इश्क़ मरने से
फ़िदा वो जान कर ले तुझ पे गर सौ बार हो पैदा