aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जान-लेवा"
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्नावस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
जान-लेवा है जो शाख़ों पे मुसल्लत है सुकूतहौसला ख़ार का फूलों के नगर में रखना
जुदाई से ज़ियादा जान-लेवामोहब्बत में मोहब्बत की कमी है
जान-लेवा जब उस की फ़ुर्क़त थीतर्क-ए-उल्फ़त की क्या ज़रूरत थी
सख़्त जान-लेवा है सादगी मोहब्बत कीज़हर की कसौटी पर ज़िंदगी को कसती है
हुस्न अदाओं से ही हुस्न बनता है और यही अदाएं आशिक़ के लिए जान-लेवा होती है। महबूब के देखने मुस्कुराने, चलने, बात करने और ख़ामोश रहने की अदाओं का बयान शायरी का एक अहम हिस्सा है। हाज़िर है अदा शायरी की एक हसीन झलकः
हुस्न अदाओं से ही हुस्न बनता है और यही अदाएं आशिक़ के लिए जान-लेवा होती है। महबूब के देखने मुस्कुराने, चलने, बात करने और ख़ामोश रहने की अदाओं का बयान शायरी का एक अहम हिस्सा है। हाज़िर है अदा शायरी की एक हसीन झलक।
बे-नियाज़ या बे-परवाह होना जैसे आशिक़ के जज़्बात की कोई ख़बर ही न हो माशूक़ की अदाओं में शुमार होता है। यह अदा इतनी जान- लेवा होती है कि आशिक़ के गिले शिकवे कभी ख़त्म होने का नाम नहीं लेते। यही बे-नियाज़ी सन्तों, सूफियों और फक़ीरों में भी होती है जो कभी कभी किसी शायर के जिस्म में भी बिराजमान होते हैं। बे-नियाज़ी शायरी ऐसे तमाम जज़्बों और रवैय्यों को ज़बान देती है। हाज़िर हैं चंद नमूने आपके लिए भी।
जान-लेवाجان لیوا
deadly, fatal
ये तसव्वुर ही जान लेवा हैवो किसी और का है मेरा नहीं
जान-लेवा एक झाड़ीजिस का मसरफ़ कुछ नहीं
'इश्क़ होता है जान-लेवा भीऐ मिरे यार तू ने सोचा भी
जान-लेवा है प्यार का सायाआप के इंतिज़ार का साया
कहीं सलीब कहीं दार जान-लेवा हैकहीं पे सर की ही दस्तार जान-लेवा है
दर्द-ए-दिल और जान-लेवा पुर्सिशेंएक बीमारी की सौ बीमारियाँ
क्या बचे दिल जान-लेवा उस का हर अंदाज़ हैग़म्ज़ा है इश्वा है शोख़ी है अदा है नाज़ है
हुदूद-ए-दिल से जो गुज़रा वो जान-लेवा थायूँ ज़लज़ले तो कई इस जहान में आए
ऐसी जान-लेवा फ़िक्रों मेंसारा दिन डूबा रहता हूँ
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