aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "टहलता"
एक एम.एससी. पास रेडियो इंजिनियर में जो मुसलमान था और दूसरे पागलों से बिल्कुल अलग थलग, बाग़ की एक ख़ास रविश पर, सारा दिन ख़ामोश टहलता रहता था, ये तब्दीली नुमूदार हुई कि उसने तमाम कपड़े उतार कर दफ़अदार के हवाले कर दिए और नंग-धड़ंग सारे बाग़ में चलना फिरना...
उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ेंफ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम
शाम को जब वो अड्डे को लौटा। तो खिलाफ़-ए-मामूल उसे वहां अपनी जान-पहचान का कोई आदमी न मिल सका। ये देख कर उसके सीने में एक अजीब-ओ-ग़रीब तूफ़ान बरपा हो गया। आज वो एक बड़ी ख़बर अपने दोस्तों को सुनाने वाला था... बहुत बड़ी ख़बर और इस ख़बर को अपने...
वजह यह कि हर एक अपने अपने काम में लगा रहता है। शाम के वक़्त हॉस्टल के सहन में जाबजा तलबा इ’ल्मी मबाहिसों में मशग़ूल नज़र आते हैं। अलस्सबह हर एक तालिब-ए-इ’ल्म किताब हाथ में लिये हॉस्टल के चमन में टहलता नज़र आता है। खाने के कमरे में, कॉमन रूम...
सीढ़ियां चढ़ते वक़्त मेरे थके हुए आ’ज़ा सुकून बख़्श नींद की क़ुरबत महसूस कर के और भी ढीले होगए, और जब मुझे नाउम्मीदी का सामना करना पड़ा तो मुज़्महिल होगए। देर तक चोबी सीढ़ी के एक ज़ीने पर ज़ानूओं में दबाये अ’ज़ीज़ साहब का इंतिज़ार करता रहा मगर वो न...
देर तक सड़क के एक किनारे पत्थरों की दीवार पर बैठा रहा मगर वो नज़र न आई... उठा और टहलता टहलता आगे निकल गया। सड़क के दाएं हाथ ढलवान थी, जिस पर चीड़ के दरख़्त उगे हुए थे। बाएं हाथ बड़े बड़े पत्थरों के कटे फटे सर उभर रहे थे।...
एक रोज़ वो टहलता हुआ चमारों के टोले की तरफ़ चला गया। हरिहर को पुकारा, हरिहर ने आकर राम-राम की और चिलम भरी, दोनों पीने लगे। ये चमारों का मुखिया बड़ा बदमाश आदमी था। सब किसान उससे थर-थर काँपते थे। झींगुर ने चिलम पीते पीते कहा, "आज कल भाग वॉग...
कृष्ण कुमार अपने कमरे में आता है मेज़ पर बैठता है, काग़ज़ लेकर ख़त लिखना शुरू कर देता है, मगर चंद सतरें लिख कर काग़ज़ फाड़ देता है। कुर्सी पर से उठ खड़ा होता है। कमरे में इज़्तिराब के साथ इधर उधर ज़ोर से टहलता है। सामने खूंटी पर अपना...
आख़िर आहिस्ता-आहिस्ता क़दम उठाता हुआ किताबों की दुकान तक आया और रिसालों के वरक़ पलट-पलट कर तस्वीरें देखता रहा। एक अख़बार ख़रीदा। तह करके जेब में डाला और आदत के मुताबिक़ घर का इरादा कर लिया। फिर ख़्याल आया कि अब घर जाना ज़रूरी नहीं। अब जहां चाहूँ जाऊँ,चाहूँ तो...
इक परी के साथ मौजों पर टहलता रात कोअब भी ये क़ुदरत कहाँ है आदमी की ज़ात को
मुसीबत असल में ये थी कि मुख़ालिफ़ टीम का लंबा तड़ंगा बॉलर, ख़ुदा झूट न बुलवाए, पूरे एक फ़र्लांग से टहलता हुआ आता। एकबारगी झटके के साथ रुक कर खंकारता, फिर ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो निहायत तेज़ी से गेंद फेंकता। इसके इलावा हालाँकि सिर्फ़ दाएं आँख से देख सकता था मगर गेंद बाएं...
ढाई बरस के बाद ये कारोबार तरक़्क़ी कर गया, इसलिए मुस्तक़ीम ने मुलाज़िमत का ख़याल तर्क कर दिया। एक रोज़ शाम को दुकान से उठ कर वो टहलता टहलता सदर जा निकला... जी चाहा कि एक पान खाए। बीस तीस क़दम के फ़ासले पर उसे एक दुकान नज़र आई जिस...
नईम टहलता टहलता एक बाग़ के अन्दर चला गया... उसको वहां की फ़ज़ा बहुत पसंद आई। घास के एक तख़्ते पर लेट कर उसने ख़ुद कलामी शुरू कर दी। “कैसी पुरफ़िज़ा जगह है... हैरत है कि आज तक मेरी नज़रों से ओझल रही, नज़रें... ओझल...”...
हम तीनों सही माअनों में उठ भागे। नीचे बाज़ार में पहुंचे तो हमारा तकद्दुर कुछ दूर हूआ। बूढे और लड़की को देख कर हमारे जमालियाती ज़ौक़ को बहुत ही शदीद सदमा पहुंचा था। देर तक हम चुप चाप रहे। फ़ख़्र टहलता रहा। मसऊद एक कोने में पेशाब करने के लिए...
यूं तो मैं अपने लिए एक क़ीमती शू ख़रीदने आया था मगर जैसा कि मेरी आ’दत है दूसरी दुकानों में सजी हुई चीज़ें देखने में मसरूफ़ हो गया। एक स्टोर में सिगरेट केस देखे, दूसरे में पाइप इसी तरह फुटपाथ पर टहलता हुआ जूतों की एक छोटी सी दुकान के...
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