aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "तज्वीज़"
मदरसा तजवीद-उल-क़ुरान, दिल्ली
पर्काशक
इदारा-ए-तरवीज-ओ-ईशात मस्जिद नूर-उल-इस्लाम, बोल्टन
हलक़ा-ए-तरवीज अदब, रामबाग़ मिर्ज़ापुर, यू.पी.
कुल हिन्द तरवीज तालीम काउंसिल, दिल्ली
हल्क़ा-ए-तरवीज-ए-अदब, कोलकाता
इदारा-ए-तरवीज-ए-'उलूम-ए-इस्लामिया, कराची
बड़ी मुमानी का कफ़न भी मैला नहीं हुआ था कि सारे ख़ानदान को शुजाअ'त मामूँ की दूसरी शादी की फ़िक्र डसने लगी। उठत बैठते दुल्हन तलाश की जाने लगी। जब कभी खाने पीने से निमट कर बीवियाँ बेटियों की बरी या बेटियों का जहेज़ टाँकने बैठतीं तो मामूँ के लिए...
अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहनाऔर उस के लिए शाख़ से इक फूल उतारा
इस बारे में हमसे भी मश्वरा लिया गया। उम्र भर में इससे पहले हमारे किसी मा’मले में हमसे राय तलब न की गयी थी, लेकिन अब तो हालात बहुत मुख़तलिफ थे। अब तो एक ग़ैर-जानिबदार और ईमानदार मुसन्निफ़ या’नी यूनीवर्सिटी हमारी बे-दार मग़ज़ी की तस्दीक़ कर चुकी थी। अब भला...
दूसरा शायर: मैं कुर्सी-ए-सदारत के लिए जनाब मीम नून अरशद का नाम तजवीज़ करता हूँ। (अरशद साहिब कुर्सी-ए-सदारत पर बैठने से पहले हाज़िरीन-ए-मजलिस का शुक्रिया अदा करते हैं।)...
अब सद्र-ए-बलदिया तक़रीर करने उठे। गो क़द ठिगना और हाथ-पाँव छोटे-छोटे थे मगर सर बड़ा था। जिसकी वज्ह से बुर्द-बार आदमी मा’लूम होते थे। लहजे में हद दर्जा मतानत थी, बोले, “हज़रात! मैं इस अम्र में क़तई तौर पर आप से मुत्तफ़िक़ हूँ कि इस तबक़े का वुजूद हमारे शह्र...
तज्वीज़تجویز
scheme, plan, proposal, view
इस्लामी क़वानीन की तरवीज-ओ-तंक़ीद
ज़फ़रुल इस्लाम इसलाही
शोध
इस्लाम के अलावा मज़ाहिब की तरवीज में उर्दू का हिस्सा
मोहम्मद उज़ैर
इतिहास
Shumara Number-013
सय्यद नूर इलाही नातिक़
तरवीज
006
ख़ावर नक़ीब
Jul 2001तरवीज
017
Aug, Oct 2023तरवीज
019
Feb, Mar, Apr 2024तरवीज
Shumara Number-014
फिर बाद अज़ां मुझे मालूम हुआ कि इस मर्ज़ ने बिल आख़िर उसे क़ब्र की गोद में सुला दिया... उस की मौत का बाइ’स मेरे सिवा और कौन हो सकता है। वो ज़िंदगी की शाहराह पर अपना रास्ता तलाश करती थी मगर मैं उसको भूल भुलैय्यों में छोड़कर भाग आया...
अख़बार “वतन” के एडिटर मौलवी इंशाअल्लाह ख़ाँ अल्लामा के हाँ अक्सर हाज़िर होते थे। उन दिनों अल्लामा अनार कली बाज़ार में रहते थे और वहीं तवाइफ़ें आबाद थीं। म्युनिस्पिल कमेटी ने उनके लिए दूसरी जगह तजवीज़ की। चुनांचे उन्हें वहाँ से उठा दिया गया। उस ज़माने में मौलवी इंशाअल्लाह ख़ाँ...
मैंने कहा, ‘‘हाँ हाँ। वो सब कुछ हो जाएगा। तुम कल भेज ज़रूर देना और देखना आठ बजे तक या साढे़ सात बजे तक पहुंच जाए। अच्छा... ख़ुदा-हाफ़िज़!’’ रात को बिस्तर पर लेटा तो बाइस्किल पर सैर करने के मुख़्तलिफ़ प्रोग्राम तजवीज़ करता रहा। ये इरादा तो पुख़्ता कर लिया...
फ़ौरन इस हमले को रोकने के लिए वकीलों का एक दस्ता तैयार किया गया। और इंसाफ़ के मैदान में फ़र्ज़ और दौलत की बा-क़ायदा जंग शुरू हुई। बंसीधर खड़े थे। यका-ओ-तन्हा सच्चाई के सिवा कुछ पास नहीं। साफ़-बयानी के सिवा और कोई हथियार नहीं। इस्तिग़ासा की शहादतें ज़रूर थीं, लेकिन...
ऐसे नाज़ुक मवाक़े पर हमने सवाल को आसान करने की नीयत से अक्सर ये मा'क़ूल तजवीज़ पेश की कि इसको पहले खाना खिला दिया जाये। लेकिन अव्वल तो वो इस पर किसी तरह रज़ामंद नहीं होता। दोम खाना तैयार होने में अभी पूरा सवा घंटा बाक़ी है और इससे आपको...
सर-ए-फ़हरिस्त उन मिज़ाजपुर्सी करने वालों के नाम हैं जो मर्ज़ तशख़ीस करते हैं न दवा तजवीज़ करते हैं। मगर उसका ये मतलब नहीं कि वो मुन्कसिर मिज़ाज हैं। दरअसल उनका ताल्लुक़ उस मदरसा-ए-फ़िक्र से है जिसके नज़दीक परहेज़ ईलाज से बेहतर है। ये इस शिकम आज़ार अक़ीदे के मोबल्लिग़-ओ-मुअय्यिद हैं...
अहल-ए-सर्वत की ये तज्वीज़ है सरकश लड़कीतुझ को दरबार में कोड़ों से नचाया जाए
लाला साहिब पर घड़ों का नशा चढ़ा हुआ है, वो चाहते हैं उनके अहबाब-ओ-अइ’ज़्जा आकर इस सोने की रानी के दीदार से अपनी आँखें रोशन करें,देखें कि उनकी ज़िंदगी कितनी पुर-लुत्फ़ है। जो अन्वा-ओ’-इक़साम के शकूक दुश्मनों के दिलों में पैदा हुए थे। आँखें खोल कर देखें कि ए’तिमाद, रवादारी...
ले तू ही भेज दे कोई पैग़ाम-ए-तल्ख़ अबतज्वीज़ ज़हर है तिरे बीमार के लिए
दूसरे दिन दोपहर को मिर्ज़ा के मकान पर ताश का मार्का गर्म होना था। वहां पहुंचे तो मा’लूम हुआ कि मिर्ज़ा के वालिद से कुछ लोग मिलने आये हैं। इसलिए तजवीज़ ये ठहरी कि यहां से किसी और जगह सरक चलो। हमारा मकान तो ख़ाली था ही। सब यार लोग...
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