आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तस्कीन-ए-दिल-ए-सोख़्ता-ए-शम्मा"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "तस्कीन-ए-दिल-ए-सोख़्ता-ए-शम्मा"
ग़ज़ल
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
शेर
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
चराग़-ए-दाग़ दिल-ए-सोख़्ता जो हो रौशन
पतंग फिर कहीं आँखों को सेंकता न फिरे
मीर शम्सुद्दीन फ़ैज़
अन्य परिणाम "तस्कीन-ए-दिल-ए-सोख़्ता-ए-शम्मा"
ग़ज़ल
कमाल लखनवी
ग़ज़ल
मोहब्बत में कभी तस्कीन-ए-दिल पाई नहीं जाती
तबीअ'त ख़ुद बहल जाती है बहलाई नहीं जाती
निहाल रिज़वी लखनऊवी
ग़ज़ल
न ठेरी जब कोई तस्कीन-ए-दिल की शक्ल यारों में
तो आ निकले तड़प कर हम तुम्हारे बे-क़रारों में
जलाल लखनवी
ग़ज़ल
रौज़ा-ए-अक़्दस पे आकर क्यों न ठहरें क़ाफ़िले
बाइ'स-ए-तस्कीन-ए-दिल है आस्ताना आप का
शकील इबन-ए-शरफ़
नज़्म
उर्दू
फ़रोग़-ए-चश्म है तस्कीन-ए-दिल है बे-गुमाँ उर्दू
हर इक आलम में है गोया बहार-ए-गुल-फ़िशाँ उर्दू