aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "दरिया-ए-नील"
कई ज़मानों के दरिया-ए-नील छोड़ गयावो वक़्त था जो मुझे लाखों मील छोड़ गया
बदन समंदर की लहरों जैसा और आँख दरिया-ए-नील जैसीहम इन में बह जाएँ यार लेकिन तिरी तबी'अत है झील जैसी
बदन समंदर के लहरों जैसा और आँख दरिया-ए-नील जैसीहम इन में बह जाएँ यार लेकिन तिरी तबी'अत है झील जैसी
क्या हमारे शहर से दरिया-ए-नीलख़ूबसूरत लड़कियाँ ले जाएगा
दिल का सहरा है कब से तिश्ना 'जमाल'पास दरिया-ए-नील होते हुए
दरिया-ए-नीलدریائے نیل
Nile river
दरिया-ए-तअश्शुक़
वाजिद अली शाह अख़्तर
मसनवी
उतर गया है पयम्बर कोई मिरे अंदरठहर गया हूँ मैं दरिया-ए-नील की सूरत
मिस्र-ए-जाँ 'साक़िब' सब्ज़ ओ शादाब हुआजब से आँख मिरी दरिया-ए-नील हुई
ज़ुल्म-ओ-सितम ने मिस्र पे क़ब्ज़ा जमा लियामूसा के इंतिज़ार में दरिया-ए-नील है
रही ये आस कि सैराब होगी किश्त-ए-हयातसो जौहड़ों को भी दरिया-ए-नील लिखते रहे
मिस्र-ए-जाँ 'साक़िब' सब्ज़-ओ-शादाब हुआआँख मिरी जब से दरिया-ए-नील हुई
यद-ए-बैज़ा की तू है मालकिन ऐ सफ़ेद संग की मूर्तीतिरी आँख दरिया-ए-नील है मिरी रात कोई निकाल भी
हाँ मर्दों ने रंगीन शायरी ज़रूर की। औरतों के सरापा के बारे में ढेरों अशआर कह डाले, उन्हें रंगों में नहला दिया। आरिज़ शहाबी रंग के अर्ज़ कर दिए तो होंटों को याक़ूत फ़र्मा दिया। ज़ुल्फ़ें सुनहरी रंग में डुबो दीं और आँखों को दरिया-ए-नील के पानी से तर कर...
'नील' चश्म-ए-हज़ीं में ये बतलाथी वो वहशत मलाल था क्या था
मोना लीज़ा की मुस्कुराहट में क्या भेद है? उसके होंटों पर ये शफ़क़ का सोना, सूरज का जश्न तुलूअ है या ग़ुरूब होते हुए आफ़ताब का गहरा मलाल? इन नीम वा मुतबस्सिम होंटों के दरमियान ये बारीक सी काली लकीर किया है? ये तूलू-व-ग़ुरूब के ऐन बीच में अंधेरे की...
रखना क़दम चमन में ख़िज़ाँ देख-भाल करदरिया-ए-रंग-ओ-बू में है गिर्दाब देखना
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