aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "फलदार"
एक फलदार पेड़ हूँ लेकिनवक़्त आने पे बे-समर भी हूँ
समझो वहाँ फलदार शजर कोई नहीं हैवो सहन कि जिस में कोई पत्थर नहीं गिरता
फलदार था तो गाँव उसे पूजता रहासूखा तो क़त्ल हो गया वो बे-ज़बाँ दरख़्त
उस की छाँव में भी थक कर नहीं बैठा जातातू ने जिस पेड़ को फलदार शजर जाना है
“बेचारा! जामुन का पेड़ कितना फलदार था।” एक क्लर्क बोला। “इसकी जामुन कितनी रसीली होती थीं।” दूसरा क्लर्क बोला।...
फलदारپھل دار
fruit bearing
पेड़ फलदार कट गए जब सेबाग़ में बाग़बाँ नहीं होते
राजदा का भाई गली के मोड़ पर ही मिल गया। घर पहुँच कर हम दीवान ख़ाने में बैठ गए। अख़्तर और उज़मा भी वहाँ आ गईं और थोड़ी ही देर बाद राजदा भी नीचे आकर हमारे क़रीब बड़ी अलमारी में से कुछ ढूँढने लगी। फिर चाय आ गई। चाय की...
जितना है समर जिस पे वो उतना है ख़मीदाफलदार दरख़्तों की तबीअत ही अलग है
आख़िर-ए-कार वो दिन आ ही गया जब कमाल अपने बच्चों के साथ उस जज़ीरे पर उतरा। जज़ीरा अंदर से बहुत ख़ूबसूरत था। जगह-जगह फूलों के पौदे लहलहा रहे थे। थोड़े-थोड़े फ़ासले पर फल-दार दरख़्त सीना ताने खड़े थे। ऊँचे-ऊँचे टीलों और सब्ज़ घास वाला जज़ीरा बच्चों को बहुत पसंद आया।...
उर्दू ने फ़ारसी-अरबी अलफ़ाज़ को हिन्दी लफ़्ज़ों के साथ मिलाकर सैकड़ों नए मुरक्कब बनाए जो हिन्दी और उर्दू दोनों ज़बानों में इस्तेमाल होते हैं। मसलन डाक-ख़ाना, राज-दरबार, बेकल, बद-चलन, शर्मीला, रंगीला, पान-दान, अजायब घर, बे-धड़क, चिट्ठी रसाँ, चूहे-दान, गुलाब जामुन, जगत उस्ताद, सब्ज़ी मंडी, घोड़-सवार, जेब-कतरा, दिल-लगी, समझदार, सदा-बहार, घर...
फलदार दरख़्तों ने रिझाया तो मुझे भीआज़ाद परिंदों के लिए शाख़-ओ-समर क्या
भूके न भटकते फिर दिन रात परिंदे येजो इन को शजर कोई फलदार मिला होता
खा के पत्थर भी जो मुस्कान बिखेरे हर-सूबाग़-ए-आलम का वो फलदार शजर हो जाए
धूप में साया-दार दरख़्तलदे-फदे फलदार दरख़्त
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