aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बढ़िया"
नौजवान का अपना ओवर कोट था तो ख़ासा पुराना मगर उसका कपड़ा ख़ूब बढ़िया था फिर वो सिला हुआ भी किसी माहिर दर्ज़ी का था। उसको देखने से मालूम होता था कि उसकी बहुत देख भाल की जाती है। कालर ख़ूब जमा हुआ था। बाहों की क्रीज़ बड़ी नुमायाँ, सिलवट...
अल्मास बेगम का अगर बस चले तो वो अपने तरहदार शौहर को एक लम्हे के लिए अपनी नज़रों से ओझल न होने दें और वो जवान जहान आया को मुलाज़िम रखने की हरगिज़ क़ाइल नहीं। मगर ताराबाई जैसी बे-जान और सुघड़ ख़ादिमा को देखकर उन्होंने अपनी तजुर्बेकार ख़ाला के इंतिख़ाब...
ये सब बातें बताने के बाद जगदीश चिरंजी से कहता है, “देखो, अगर उसको ज़ेवरों का ही शौक़ है तो हम बढ़िया बढ़िया चीज़ दे सकते हैं। तुम ये बातें अपने तौर से उसके साथ करना, समझे।” इस क़िस्म की चंद बातें होने के बाद तय होता है कि जगदीश...
मगर इसके बर-अ’क्स वो ये आग ख़ुद अपनी माचिस से लगाना चाहता था। उसने इस कोशिश में कई माचिसें जलाईं। मेरा मतलब है कि कई लड़कियों के इ’श्क़ में गिरफ़्तार हो जाने के लिए नित नए सूट सिलवाए, बढ़िया से बढ़िया टाईयां खरीदीं, सेंट की सैंकड़ों क़ीमती शीशियां इस्तेमाल कीं...
पाँचवीं साड़ी का किनारा गहरा नीला है। साड़ी का रंग गदला सुर्ख़ है लेकिन किनारा गहरा नीला है और इस नीले में अब भी कहीं-कहीं चमक बाक़ी है। ये साड़ी दूसरी साड़ियों से बढ़िया है क्योंकि ये साढ़े पाँच रुपए चार आने की नहीं है। उसका कपड़ा, उसकी चमक दमक...
बढ़ियाبڑھیا
excellent, fine, of good quality, Superior
बक़िया-ए तिलिस्म-ए होशरुबा
मुंशी अहमद हुसैन क़मर
दास्तान
कि़स्सा / दास्तान
बात पक्की हो गई और शादी का सामान होने लगा। ठाकुर साहब उन अस्हाब में से थे जिन्हें अपने ऊपर भरोसा नहीं होता। उनकी निगाह में प्रकाश की डिग्री अपने साठ साला तजर्बे से ज़्यादा कीमती थी। शादी का सारा इन्तिज़ाम प्रकाश के हाथों में था, दस बारह हज़ार रुपये...
बढ़िया सिगरेट पीते ही हर शख़्स को मुआ'फ़ कर देने को जी चाहता है... ख़्वाह वो रिश्तेदार ही क्यों न हो।...
जनाब-ए-वाला। कलकत्ता, हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा शहर है। हावड़ा पुल हिन्दोस्तान का सबसे अ’जीब-ओ-ग़रीब पुल है। बंगाली क़ौम हिन्दोस्तान की सबसे ज़हीन क़ौम है। कलकत्ता यूनीवर्सिटी हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी यूनीवर्सिटी है। कलकत्ता का सोना गाची हिन्दोस्तान में तवाइफ़ों का सबसे बड़ा बाज़ार है। कलकत्ता का सुंदर बन चीतों की...
कभी-कभी कोई इंतिहाई घटिया आदमी आपको इंतिहाई बढ़िया मश्वरा दे जाता है। मगर आह! कि आप मश्वरे की तरफ़ कम देखते हैं, घटिया आदमी की तरफ़ ज़्यादा।...
सरदार इस मुआमले में बड़ी मोहतात थी कि जूँ ही गाहक आता, वो उससे नवाब की फ़ीस पहले वसूल कर के अपने नेफ़े में महफ़ूज़ कर लेती थी और अपने मख़्सूस अंदाज़ में दुआएँ दे कर कि तुम आराम से झूले झूले, अफ़ीम की एक गोली डिबिया में से निकाल...
"जब देखो उनकी कोठी में हर तरफ़ खिलौने ही खिलौने बिखरे रहते हैं। बहुत बढ़िया बढ़िया खिलौने। ये बड़े-बड़े हवाई जहाज। चलने वाली, बातें करने वाली गुड़िया। बिजली की रेलगाड़ी, मोटरें..." "अरी मुई, ये खिलौने तो वो ख़ुद अपने बच्चों के खेलने के लिए विलायत से मंगवाते हैं, बेचते थोड़ा...
मैं ने सिगरेट सुलगाया। उन्होंने अपनी दस उंगलियों के नाख़ुन काट कर नेल कटर तिपाई पर रखा और मुझसे मुख़ातिब हुए, “मैं उन दिनों काबुल में था।” ये कह कर चंद लम्हात ख़ामोश रहे, उसके बाद बोले... “मेरी वहां बहुत बड़ी दुकान थी जिसमें बढ़िया से बढ़िया सामान मौजूद रहता...
इतने में इक बढ़िया-माईदौड़ी दौड़ी अंदर आई
अ'दील को अपनी इस ज़िद के तुफ़ैल काफ़ी तंग-दस्त होना पड़ा था। और वो रफ़्ता-रफ़्ता तसनीफ़-ओ-तालीफ़ के काम ही से बद-दिल हो गया था। जब उसकी ना-दारी हद से बढ़ जाती तो एक दोस्त उसे किसी छापे-ख़ाने से ज़ेर-ए-तब'अ किताबों के कुछ प्रूफ़ पढ़ने के लिए ला दिया करता। और...
हैदरी ख़ाँ ने उसे बंद करने के लिए रस्सी बाँध रखी थी। एक मिट्टी का सड़ा सा हुक़्क़ा था और एक प्याला। असग़री के दिल को चोट तो लगी और उसने कुछ आँसू भी बहाए। मगर वो तबअन उन इताअत-गुज़ार बीवियों में से थी जो शौहर को मजाज़ी ख़ुदा समझती...
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