aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बद-हज़मी"
जो बद-हज़मी में चाहे तू इफ़ाक़ातो कर ले एक या दो दिन का फ़ाक़ा
उस को अच्छा कर नहीं सकता कोई कामिल तबीबशाएरी की जिस को बद-हज़मी हो हैज़ा के क़रीब
रोटी खाने के मुताल्लिक़ एक मोटा सा उसूल है कि हर लुक़मा अच्छी तरह चबा कर खाओ। लुआब-दहन में उसे ख़ूब हल होने दो ताकि मेअ्दे पर ज़ियादा बोझ ना पड़े और इसकी ग़िजाईयत बरक़रार रहे। पढ़ने के लिए भी यही मोटा उसूल है कि हर लफ़्ज़ को, हर सतर...
बोली, “मैं तुम्हें जानती हूँ। एक रिसाले की वर्क़ नोशी करते हुए मैंने तुम्हारी तस्वीर देखी थी बल्कि थोड़ी सी तस्वीर खाई भी थी। एक दम बद ज़ाएक़ा और कड़वी कसीली निकली। हालाँकि वो तुम्हारी जवानी की तस्वीर थी। फिर भी इतनी कड़वी कि कई दिनों तक मुँह का मज़ा...
वो पहले मुस्कुराए फिर लिया पहलू बदलहमीं नादान थे बस मुस्कुराते रह गए
बद-हज़मीبد ہضمی
indigestion
लबों पे मोहर-ए-ख़मोशी लगाई जाती हैऔर इस के ब'अद हमीं से सवाल होता है
रंग-ए-आलम बदल रहा है 'हज़ीं'नहीं मा’लूम क्या से क्या हो जाएँ
मंफ़ी हज्म में बट जाएगीउस वक़्त नौहागर तिनका फ़ाख़्ता के लहू
अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्तहमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त
दाम-बर-दोश फिरें चाहे वो गेसू बर-दोशसैद बन बन के हमीं ने उन्हें सय्याद किया
यूँ तो दुनिया में ग़ीबत से ज़्यादा ज़ूद-हज़्म कोई चीज़ नहीं लेकिन ये कबाब भी हलक़ से उतरते ही जुज़्व-ए-बदन हो जाते हैं।...
एक से एक जुनूँ का मारा इस बस्ती में रहता हैएक हमीं हुशियार थे यारो एक हमीं बद-नाम हुए
तदबीर करें तो इस में नाकामी होतक़दीर का नाम लें तो बद-नामी हो
अजीब बात हमारा ही ख़ूँ हुआ पानीहमीं ने आग में अपने बदन भिगोए थे
शैख़ साहिब भी तो पर्दे के कोई हामी नहींमुफ़्त में कॉलेज के लड़के उन से बद-ज़न हो गए
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