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ग़ज़ल
ये बयान-ए-हाल ये गुफ़्तुगू है मिरा निचोड़ा हुआ लहू
अभी सुन लो मुझ से कि फिर कभू न सुनोगे ऐसी कहानियाँ
कलीम आजिज़
ग़ज़ल
है बयान-ए-हाल-ए-गुलशन ये जले जले नशेमन
ये घुटी-घुटी फ़ज़ाएँ ये गुलों की आह-ओ-ज़ारी