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ग़ज़ल
लब-ए-शीरीं है मिस्री यूसुफ़-ए-सानी है ये लड़का
न छोड़ेगा मेरा दिल चाह-ए-कनआनी है ये लड़का
नाजी शाकिर
शेर
बुल-हवस गो करें तेरे लब-ए-शीरीं पर हुजूम
तल्ख़ मत हो कि मिठाई से मगस आती है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
तेरे आगे ले चुका ख़ुसरव लब-ए-शीरीं से काम
तू अबस सर फोड़ता है कोहकन पत्थर से आज
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
क्या दिया बोसा लब-ए-शीरीं का हो कर तुर्श-रू
मुँह हुआ मीठा तो क्या दिल अपना खट्टा हो गया
मीर कल्लू अर्श
ग़ज़ल
वो भोले-पन से दे दे बोसा-ए-ला'ल-ए-लब-ए-शीरीं
कोई तरकीब ऐसी ऐ दिल-ए-नादान पैदा कर
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
नज़्म
दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा
हाँ जाम उठाओ कि ब-याद-ए-लब-ए-शीरीं
ये ज़हर तो यारों ने कई बार पिया है