aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सकूँगी"
वो क्या गया कि रिफ़ाक़त के सारे लुत्फ़ गएमैं किस से रूठ सकूँगी किसे मनाऊँगी
ये तब का ज़िक्र है जब मैं छोटी सी थी और दिन भर भाइयों और उनके दोस्तों के साथ मार कुटाई में गुज़ार दिया करती थी। कभी-कभी मुझे ख़याल आता कि मैं कमबख़्त इतनी लड़ाका क्यों हूँ। उस उम्र में जब कि मेरी और बहनें आशिक़ जमा कर रही थीं...
बेला और बतूल मुझसे ये ख़त क्यों लिखवा रही हैं। ये दोनों लड़कियां कौन हैं और उनका तक़ाज़ा इस क़दर शदीद क्यों है। ये सब कुछ बताने से पहले मैं आपको अपने मुताल्लिक़ कुछ बताना चाहती हूँ, घबराइए नहीं। मैं आपको अपनी घिनावनी ज़िंदगी की तारीख़ से आगाह नहीं करना...
“जाओ ना।” इंदू ने कुछ मचलते, कुछ शरमाते हुए कहा, “तुम्हारे सामने मैं दूध नहीं पिला सकूँगी।” “अरे?” मदन हैरत से बोला, “मेरे सामने... नहीं पिला सकेगी।” और फिर नासमझी के अंदाज़ में सर को झटका दे कर बाहर की तरफ़ चल निकला। दरवाज़े के पास पहुँच कर उसने मुड़ते...
ख़त बहुत तवील था। परवीन की ग़ैर हाज़िरी का बाइस ये था कि उसका बाप उसको साथ गुजरांवाला ले गया था जहां उसकी बड़ी बहन रहती थी। पंद्रह दिन वो ख़ून के आँसू रोती रही। उसका जहेज़ तैयार किया जा रहा था लेकिन उसको महसूस होता था कि उसके लिए...
“इसका ये मतलब है तुम मुझे अपना एड्रेस दे दोगी... मैं तुम्हें देख सकूँगा।” “तुम मुझे जब चाहो देख सकते हो... आज ही देख लो।”...
"न आए तो हमें इनके वहाँ जाना पड़ेगा।" मेरा दिल धक से रह गया, "हाय! तो यूँ कहिए। मुझे अंधों के हॉस्पिटल में रहना होगा। मैं अंधी हो गई। गोया ज़िंदगी की तारीकी में इधर उधर भटका करूँगी! कोई मेरा रफ़ीक़ न होगा।" मैंने अंधों के कई अफ़साने पढ़े थे।...
“तो मैं कब कहती हूँ कि अब पसंद करवाओगी।”, सितारा ने ज़बरदस्ती उसका चेहरा उठा कर पाउडर की तह जमाना चाही मगर ज़ुहरा ने अपना मुँह हाथों में छिपा लिया और रोती रही। दस बज गए। ज़ुहरा और सितारा ने बे-यक-वक़्त पुराने क्लाक की टन-टन पर उधर देखा और ज़ुहरा...
नैरोबी, "बे-शक आम शायरों के हाँ और मामूली इंसानों के नज़दीक हुस्न-ओ-जमाल का मफ़हूम वही है जो तुमने अभी ज़ाहिर किया। लेकिन मैं तो उन लोगों में हूँ जो सूरत से ज़ियादा अदा को देखते हैं। जो आज़ा के हुस्न से ज़ियादा अत्वार की दिल-फ़रेबी पर फ़रेफ़्ता होते हैं और...
अपनी पिंदार की किर्चियाँचुन सकूँगी
मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया और उस दीवाने अमाचंद की तस्वीर एक बार मेरी आँखों में घूम गई। इंद्रा ने फिर हँस कर कहा, "रघू तुम बुज़दिल नहीं। मैं ही बुज़दिल हूँ। अंजुमन के उसूलों के मुताबिक़ मुझे तुम्हें फ़ौरन मौत के घाट उतार देना चाहिए था। लेकिन...
“तुम आज क्यों नहीं आईं?” “मैं?” ये कह कर बिमला रुक गई। थोड़े वक़्फ़े के बाद बोली, “मैं अब नहीं आ सकूंगी, मुझे... मुझे एक काम मिल गया है।”...
शोर इतना है कि कुछ कह न सकूँगी उस सेअब ये सोचा है निगाहों को दबा कर रख्खूँ
मैं तुम्हारे मिस्टर शोपां से कहना चाहता हूँ, क़िबला आपको अच्छी तरह डिनर उड़ाने के बा’द ही ये आसमानी नग़्मे कम्पोज़ करने की सूझती होगी। आप मेरी जगह तशरीफ़ ले आइए और मैं आपके पियानो पर पहुँच कर ऐसे-ऐसे नग़्मे बना सकता हूँ जिनको सुनकर दुनिया आपके और आपके सारे...
छाता स्याह रंग का था जिसकी मुंठ ज़र्द रंग के सेलोलॉयड की थी। काले बालों में पीला रिबन था। स्याही और ज़र्दी का ये मेल मुझे बहुत पसंद आया था। आपके ज़ौक़ की मैं बेहद मो’तरिफ़ हूँ। रंगों के सही इल्तिज़ाम का आप ख़ूब सलीक़ा रखती हैं। मगर कल आप...
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books