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ग़ज़ल
राह-ए-सितम में सोज़-ए-जिगर कैसे छोड़ दें
लम्बा सफ़र है ज़ाद-ए-सफ़र कैसे छोड़ दें
इरफ़ान सिद्दीक़ी
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ग़ज़ल
किसी दिन तो हमारा दर्द-ए-दिल सोज़-ए-जिगर देखो
कभी तो भूल कर आओ कभी तो पूछ कर देखो
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
क्या मेरा बस है ज़ब्त जो सोज़-ए-जिगर न हो
ओ सर्द-मेहर आग मिरी बात पर न हो
मुंशी बनवारी लाल शोला
ग़ज़ल
दर्द-ए-दिल कैफ़-ए-अलम सोज़-ए-जिगर से पहले
ज़िंदगी कुछ भी न थी तेरी नज़र से पहले
अज़मत अब्दुल क़य्यूम ख़ाँ
ग़ज़ल
न कम हो काश ये सोज़-ए-जिगर क़यामत तक
कि इश्क़ सोज़-ए-जिगर के सिवा कुछ और नहीं