aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हस्ब-ए-ज़रूरत"
मुझे याद हस्ब-ए-ज़रूरत करे हैमैं समझा था 'अहरस' मोहब्बत करे है
करूँगा हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं करूँगा मैंहवा के हाथ पे बै'अत नहीं करूँगा मैं
ज़मीन हस्ब-ए-ज़रूरत उगाई जाती हैफिर एक साँचे में ख़िल्क़त बनाई जाती है
रौशनी हस्ब-ए-ज़रूरत भी नहीं माँगते हमरात से इतनी सुहुलत भी नहीं माँगते हम
दिल ने इमदाद कभी हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं दीदश्त में अक़्ल न दी शहर में वहशत नहीं दी
हस्ब-ए-ज़रूरतحسب ضرورت
according to need
सहर को हस्ब-ए-ज़रूरत वो रात कहते हैंसियाने लोग हैं मतलब की बात कहते हैं
हर माहौल में खप जाते हैंहस्ब-ए-ज़रूरत अच्छे बच्चे
ख़्वाहिश को यहाँ हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं पायाहासिल को यहाँ हसब-ए-मुक़द्दर नहीं देखा
अजब रिवायती औरत है ज़िंदगी मेरीहमेशा हस्ब-ए-ज़रूरत ही चाही जाती रही
नहीं थी ज़िंदगानी भी वहाँ हसब-ए-तमन्नामोहब्बत भी वहाँ हस्ब-ए-ज़रूरत हो रही थी
एक सज्दा मिरी पेशानी को दरकार है जोहस्ब-ए-तौफ़ीक़ लगे हस्ब-ए-ज़रूरत न लगे
दोज़ख़ लिए हुए कहीं जन्नत लिए हुएहर चीज़ है वो हस्ब-ए-ज़रूरत लिए हुए
मैं काँप उठती हूँ इतना सोच कर हीकि तू हस्ब-ए-ज़रूरत मिल न जाए
'साजिद' वो सहर जिस के लिए रात भी रोईआई तो सही हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं आई
गर मुसल्लत ही रहा हम पे घुटन का मौसमसाँस तो हस्ब-ए-ज़रूरत नहीं मिलने वाली
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