आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".magn"
अत्यधिक संबंधित परिणाम ".magn"
ग़ज़ल
इन ध्यान-मग्न सब्ज़ दरख़्तों के इर्द-गिर्द
ये कैसी रौशनी का निशाँ हो रहा है देख
महेंद्र कुमार सानी
नज़्म
ख़्वाब जो बिखर गए
मगन था मैं कि प्यार के बहुत से गीत गाऊँगा
ज़बान गुंग हो गई, गले में गीत घुट गए
आमिर उस्मानी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
समस्त
पुस्तकें के संबंधित परिणाम ".magn"
अन्य परिणाम ".magn"
नज़्म
मुझे मत बताना
तुम को पेड़ों के पीछे दरख़्तों के झुण्ड
और दीवार की पुश्त पर ढूँडने में मगन हूँ
परवीन शाकिर
उद्धरण
सआदत हसन मंटो
नज़्म
हिण्डोला
कि जिस्म तोड़ दिए जाएँ उन के ताकि मिले
चुराने वालों को ख़ैरात माघ-मेले की
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
क्या हुआ वाइज़ करे है शोर जूँ तब्ल-ए-तही
वो सर-ए-बे-मग़ज़ गोया कांसा-ए-तम्बूर है