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ग़ज़ल
तुम्हारे शौक़ में हूँ जाँ-ब-लब इक उम्र गुज़री है
अगर इक दम कूँ आ कर मुख दिखाओगे तो क्या होगा
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
मन इक नन्हा सा बालक है हुमक हुमक रह जाए है
दूर से मुख का चाँद दिखा कर कौन उसे ललचाए है
अली सरदार जाफ़री
शेर
इक दिन उस ने नैन मिला के शर्मा के मुख मोड़ा था
तब से सुंदर सुंदर सपने मन को घेरे फिरते हैं