आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".stag"
अत्यधिक संबंधित परिणाम ".stag"
नज़्म
निसार मैं तेरी गलियों के
है अहल-ए-दिल के लिए अब ये नज़्म-ए-बस्त-ओ-कुशाद
कि संग-ओ-ख़िश्त मुक़य्यद हैं और सग आज़ाद
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
ग़ौर से देखते हैं तौफ़ को आहु-ए-हरम
क्या कहें उस के सग-ए-कूचा के क़ुर्बां होंगे
मोमिन ख़ाँ मोमिन
पृष्ठ के संबंधित परिणाम ".stag"
अन्य परिणाम ".stag"
ग़ज़ल
मोहज़्ज़ब दोस्त आख़िर हम से बरहम क्यूँ नहीं होंगे
सग-ए-इज़हार को हम भी तो खुल्ला छोड़ देते हैं
शुजा ख़ावर
अप्रचलित ग़ज़लें
पानी से सग-गज़ीदा डरे जिस तरह 'असद'
डरता हूँ आइने से कि मर्दुम-गज़ीदा हूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
ख़ातून-ए-मशरिक़
औरतें बेचेंगी जब स्टेज पर बा-रक़्स-ओ-चंग
अपनी आँखों की लगावट अपने रुख़्सारों का रंग