aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aaGosh-e-gul"
आग़ोश-ए-गुल में लज़्ज़त-ए-सोहबत नहीं रहीकिस से कहूँ कि क़ौस-ए-मोहब्बत नहीं रही
फिर फ़स्ल-ए-गुल-ओ-लाला से महकेगा चमन येहम नोक-ए-सबा से तुझे तहरीर करेंगे
हम से वो दूर जा चुके हैं 'गुल'पूछ कर कोई उन का हाल आए
बनाया है जिन्हें मैं ने मोहब्बत के गुलाबों सेतर-ओ-ताज़ा वो गुल-दस्ते तुम्हारे नाम करती हूँ
मैं बा-वफ़ा ही रहा रह के बे-वफ़ाओं मेंगुल-ए-बहार की सूरत खिला ख़िज़ाओं में
आग़ोश-ए-गुलآغوش گل
embrace of flower
इस नख़्ल-ए-दोस्ताँ पे गुल हैं खिले हुए जोख़ुश्बू-ए-गुलसिताँ की सच्चाई चाहता है
गुल की आँखों में मचलती हुई यादें उस कीरंग-ओ-आहंग से बदलता हुआ शीशा देखा
आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा हैऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार के
फिर याद करोगे तुम जब पास न होएगीआग़ोश-ए-लहद में जब दम-साज़ ये सोएगी
उसे ये ज़ोम कि आग़ोश-ए-गुल भी उस की हैजो चाहता है परिंदों को बे-नवा रखना
जाँ-बख़्श सी उस बर्ग-ए-गुल-ए-तर की तरावतवो लम्स-ए-अज़ीज़-ए-दो-जहाँ याद रहेगा
इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनीमिरे दिल की तो प्यास कभी न बुझी मिरे जी की तो बात कभी न बनी
ख़ार-ओ-ख़स-ओ-ख़ाशाक तो जानें एक तुझी को ख़बर न मिलेऐ गुल-ए-ख़ूबी हम तो अबस बदनाम हुए गुलज़ार के बीच
शहर-ए-गुल की रहने वाली आगहीमिरे ज़ख़्मों की ज़बाँ समझेगी क्या
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