aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aaina e jamal bilqe"
गुम इस क़दर हुए आईना-ए-जमाल में हमउसी को ढूँडते हैं उस के ख़द्द-ओ-ख़ाल में हम
दिल ने जब भी तिरा ख़याल कियाख़ुद को आईना-ए-जमाल किया
लुत्फ़ लेने को उन की हैरत काहम भी आईना-ए-जमाल हुए
हर शय को मेरी ख़ातिर-ए-नाशाद के लिएआईना-ए-जमाल बना कर चले गए
कितने हसीन ख़्वाब तरसते हैं दीद कोआईना-ए-जमाल पे बैठेगी कितनी ख़ाक
आईना-ए-जमाल
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
काव्य संग्रह
Aaina-e-Jamal-e-Mustafa
शबनम कमाली
Majmua-e-Tareekh
सय्यद मोहम्मद हाशिम
इतिहास
Aaina-e-Jamal
मोहम्मद जमालुद्दीन
हाफ़िज़ कर्नाटकी
नात
जमाल भारती
Aina-e-Jamal
Aaina-e-Jalal
सय्यद मोईनुद्दीन कदापवी
मज़ामीन / लेख
Aaina-e-Jalal Kadapavi Aur Aaina-e-Kadapa
संकलन
Aaina-e-Khayal
क़ाज़ी जलाल हरीपुरी
पत्र
Aaina-e-Fikr
जलालुद्दीन अहमद जलाल
Pas-e-Aaina
जमील मलिक
नज़्म
Jama'at-e-Islami
सय्यद अबुल आला मोदूदी
Al-Qaul-ul-Jameel ma Sharh-e-Shifa-ul-Aleel
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
समा और अन्य शब्दावलियाँ
The Akhlaq-e-Jalali
जलाल-उद-दीन दव्वानी
शिक्षाप्रद
सिद्क़ ओ सफ़ा सिखाता है नज़्ज़ारा-बाज़ कोआईना-ए-जमाल तिरा सर से पाँव तक
आईना-ए-जमाल को देखूँगा किस तरहउस ने तो पहले ही मुझे हैराँ बना दिया
हर ज़र्रे को सिखाई है जिस ने मुसव्विरीआईना-ए-जमाल झलक भी उसी की है
जल्वा दिखा रहा है वो आईना-ए-जमालआती है हम को शर्म कि क्या मुँह दिखाएँ हम
ताब-ए-नज़र से उन को परेशाँ किए हुएआईना-ए-जमाल को हैराँ किए हुए
मुशाहिदे को इक आईना-ए-जमाल दियाकमाल-ए-इश्क़ ने जौहर दिखा दिए दिल के
नज़र के सामने आईना-ए-जमाल रहानियाज़-ए-इश्क़ की आज इतनी आबरू तो हुई
सूरत-नुमा हो इश्क़ तिरा फिर कहाँ अगरआईना-ए-जमाल-ए-सरापा शिकस्त हो
बन जाए जिस से मेरी भी क़िस्मत नई नईआईना-ए-जमाल-ए-हुवैदा को क्या हुआ
जलने लगी नक़ाब-ए-हुस्न कौंद गईं वो बिजलियाँआइना-ए-जमाल में रंग-ए-जलाल आ गया
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