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ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
देख लो ख़ुश हो के याराँ ये बहाराँ फिर कहाँ
नैन सुख
ग़ज़ल
अब्र-ए-बाराँ याद में उस की कब तक रोया करना है
वक़्त बता देना फिर मुझ को याँ पे सहरा करना है
विश्वदीप ज़ीस्त
समस्त