aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "afsaana-e-dil"
रोज़ दोहराते थे अफ़्साना-ए-दिलकिस तरह भूल गया याद नहीं
अफ़्साना-ए-दिल क्या तुम से कहें कुछ शाद भी कुछ नाशाद भी हैये फ़िक्र-ओ-नज़र का क़ैदी है इस क़ैद में ये आज़ाद भी है
वो ख़ुदा हो कि नाख़ुदा ऐ 'दिल'डूबना है तो सोचता क्या है
कितना हसीं था जुर्म-ए-ग़म-ए-दिल कि दो-जहाँदर पे हैं आज तक मिरे रंग-ए-क़ुबूल के
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवाऐ 'दिल' ये इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
अफ़्साना-ए-दिलافسانۂ دل
tale of heart
दिल का हाल
Deen-o-Duniya Ke Afsane
अननोन ऑथर
Urooj-e-Zindagi
सय्यद ज़ुहूर अहमद
कि़स्सा / दास्तान
Qaraba Deen-e-Ehsani
Qaraba Deen-e-Ahsani
मोहम्मद तेग़ बहादुर
हकीम एहसान अली
भूल बैठे हूँ वो कहीं ऐ दिलआज क्यूँ इतने याद आए हैं
खेल समझे हो ऐ दिल जिसेज़िंदगी है तमाशा नहीं
ऐ 'दिल' बहुत ख़राब हैं हालात शहर केयाँ जिस किसी से बात करो मुख़्तसर करो
बन गई हुस्न-ए-तलब भी तो मुअ'म्मा ऐ 'दिल'दर्द माँगा था वो समझे कि दवा माँगी थी
क्यों हवा हम को समझने लगी दुश्मन ऐ दिलहम दिए बेचते फिरते हैं सलाई तो नहीं
ऐ 'दिल' इन्हें इदराक कहाँ नम्रतियों काजो कहते हैं पल भर में बयाबाँ से गुज़र जा
फ़ा’इलातुन का नशा जिन पे चढ़ा है ऐ दिलवो मेरे फ़न की सताइश नहीं करने वाले
और सब कुछ हो ज़माने को मुबारक ऐ 'दिल'याँ तो दामन में मोहम्मद के सिवा कुछ भी नहीं
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवाऐ 'दिल' ये 'इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
उन्स क्यूँकर न हो ऐ दिल मुझे वीरानों सेहर ख़राबे में मिरा घर नज़र आता है मुझे
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